पितृपक्ष खत्म होते ही नवरात्रि शुरू हो जाता है, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा नौ दिनों तक चलती है। कलश स्थापना से शुरू होता है और विजयादशमी को खत्म हो जाता है। दुर्गा पूजा बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा के कुछ क्षेत्रों में खुब धूमधाम से मनाया जाता है। बड़े बड़े और भव्य पंडाल और प्रतिमा बनते हैं।
माता की सवारी किस पर आएगी ये विशेष महत्व रखता है, उसी से तय होता है कि साल भर कैसा प्रभाव रहेगा। हम इस पोस्ट में जानेंगे कि नवरात्रि 2024 कब से शुरू हो रहा है और माता की सवारी किस पर आएगी और उसका प्रभाव क्या रहेगा....
Navratr 2024 शारदीय नवरात्र कब से शुरू होंगे.....
शारदीय नवरात्र 03 अक्टूबर 2024 गुरुवार से शुरू हो रहा है और 12 अक्टूबर 2024 शनिवार को विजयादशमी के साथ समाप्त हो जाएगा।
प्रतिपदा की शुरुआत 03 अक्टूबर को सुबह 12.19 से होगा और 04 अक्टूबर की सुबह 02. 58 पर समाप्त हो जाएगा। उदयतिथि के अनुसार 03 अक्टूबर को कलश स्थापना होगा, कलश स्थापना सुबह से ही शुरू हो जाएगी।
माता की सवारी किस पर आएगी....
माता की सवारी पालकी पर आएगी और पैदल जाएगी। इस बार माता का आना मतलब पालकी की सवारी को शुभ नहीं माना जाता है। माता जब गुरूवार या शुक्रवार को आती हैं तो पालकी पर आती है पालकी पर डोलते आती है ये शुभ नहीं माना जाता है, पालकी पर आने से देश दुनिया में महामारी की आशंकाएं या प्राकृतिक आपदा आ सकती है।
नवरात्रि शुरू होने से पहले पुजा सामग्री जान लें.....
माता की फोटो, माला, चुनरी, कलश, आम का पत्ता, रोली, चंदन, अरवा चावल, धूप, गंगा जल, दिया, बाती, तिल, धूप, अगरबत्ती, घी, दूध, दही, मौसमी फल, सुखा फल, बताशा, लड्डू, लौंग, इलाइची, पान का पत्ता, लाल कपड़ा, केले का पत्ता, पूजा का बर्तन, गाय का गोबर और कंडा, कपूर, श्रृंगार का सामान, नवग्रह लकड़ी, हवन के लिए, आम का लकड़ी, फूल और फूल की माला, बेलपत्र, माता को लाल फूल, अपराजिता आदि सब सामान लाएं।
माता के नौ रूपों के नौ दिन -
03 अक्टूबर पहला दिन - मां शैलपुत्री
04 अक्टूबर दुसरा दिन - मां ब्रह्मचारिणी
05 अक्टूबर तीसरा दिन - मां चंद्रघंटा
06 अक्टूबर चौथा दिन - मां कुष्मांडा
07 अक्टूबर पांचवां दिन - स्कंदमाता
08 अक्टूबर छठा दिन - मां कात्यायनी
09 अक्टूबर सातवां दिन - मां कालरात्रि
10 अक्टूबर आठवां दिन - मां सिद्धिदात्री
11 अक्टूबर नौवां दिन - मां महागौरी
12 अक्टूबर दसवां दिन - विजयादशमी, विसर्जन
अष्टमी और नवमी का विशेष महत्व होता है नवरात्रि में.....
10 अक्टूबर को अष्टमी तिथि है नवरात्रि का और 11 अक्टूबर को नवमी तिथि है। इस दिन खोंइछा भरा जाता, व्रत किया जाता है और हवन, कन्या पूजन किया जाता है। माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन अवश्य करना चाहिए, आप चाहें तो नौ दिन भी कन्या पूजन कर सकते हैं। वैसे अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
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