Jitiya जीवित्पुत्रिका व्रत संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है। यह निर्जला व्रत होता है इसमें मां अपनी संतान के लिए 24-36 घंटे बिना अन्न-पानी के रहती है। यह मुख्यतः बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में ही मनाया जाता है। यह व्रत बहुत कठिन होता है इसमें भगवान जीमूतवाहन का पुजा किया जाता है। आइए इस पोस्ट में हम जितिया का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और जितिया क्यों मनाया जाता है जानेंगे।
Jitiya 2024: जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत कब है....
जितिया आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है, मिथिला पंचांग के अनुसार मतलब बिहार में नहाय खाय 23 सितंबर को मनाया जाएगा और 24 सितंबर को सुबह ओठगण कर के व्रत शुरू हो जाएगा और 25 सितंबर के शाम 05.05 में पारण होगा।
लेकिन कुछ क्षेत्रों में 24 सितंबर को नहाय खाय है और 25 सितंबर को व्रत रख रहें हैं फिर 26 के सुबह में पारण होगा।
जितिया में महिलाएं अपने पितरों का करती हैं तर्पण....
जितिया आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है इस समय पितृपक्ष चल रहा होता है इसमें गया जी सहित कई अन्य जगहों पर पिंडदान होता है। पितृपक्ष में तर्पण भी किया जाता है, जितिया में हमारे मिथिला में सदियों से तर्पण देने की प्रक्रिया चलती आ रही है।
संतान की लंबी आयु के लिए यह व्रत है ही लेकिन साथ ही साथ हम अपनी सास, उनकी सास मतलब अपने पुर्वजों का तर्पण भी करते हैं। तर्पण में हम सरसों तेल और खल्ली (सरसों तेल निकालने के बाद जो टिक्की बचता) से नदी किनारे तर्पण करते हैं। अब नदी हर जगह नहीं है तो बाथरूम में ही कर दिया जाता है।
0 Comments