तोरई खाने के फायदे और नुकसान

     अभी बाज़ार में हरे रंग के तोरई बड़ी मात्रा में बिकते मिल जाएंगे। ये हर जगह अलग अलग नाम से जाना जाता है। कहीं इसको नेनुआ, कहीं घिसोरा, कहीं झींगा, कहीं दोडकी विदेशों में इसे स्प़ंजगार्ड, रिजगार्ड कहते हैं। यह‌ विटामिन, फाइबर, प्रोटीन, मिनरल से भरपूर सब्जी है। कुछ नेनुआ में ‌‌‌धारी वाली छिलका होता है।

     यह वजन कम करने में सहायक है। इसमें विटामिन सी की कमी से होने वाली बिमारियों पर भी असरकारक है। आंखों की रोशनी में फायदेमंद है। अस्थमा के रोगियों के लिए बहुत अच्छा है। तोरई अमेरिका में सबसे पहले उगाई फिर वहां से पूरी दुनिया में आई।यह बहुत ठंडा होता है। इसे बनाने से पहले इसके छिलके नहीं उतारने चाहिए, इसे ब्याल कर खाने के फायदे ज्यादा होते हैं।

   तोरई हरी सब्जी होने के कारण विटामिन से भरपूर तो है ही इसमें कैल्शियम, काॅपर, आयरन, पोटेशियम, फाॅस्फोरस, मैग्नीशियम,मैग्नीज खनीज के तौर पर पाए जाते हैं। विटामिन ए,बी, सी , आयोडीन, फ्लोरिन जैसे तत्व भी पाए जाते हैं।

     तुरई खून साफ करती है और खु‌न‌ की कमी‌ दूर करती है। डायबिटीज़ वालों के लिए बहुत फायदेमंद है ये यह खुन और‌ पेशाब में चीनी की मात्रा कम करता है। तुरई के पत्तों का रस कीड़े मकोड़े के काटे की जगह लगाने पर सुजन‌‌कम हो‌ जाती है।

    बालों के लिए तुरई के उपाय- तुरई को टुकड़ों में काट कर, सुखा कर कुट लें। 3-4 दिन के लिए नारियल तेल में एक रख दें फिर‌ रोज हल्की हल्की तेल से मालिश करें।‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ बाल काले‌ और घने‌ होंगे।

    तोरई जोंडिस यानी पीलिया में भी फायदेमंद है। यह बवासीर वालों को भी आराम पहुंचाता है। यह मुहांसे, एक्जिमा जैसे त्वचा संबंधी बिमारियों को दूर करता है।

    इसमें एंटीवायरल और एंटी फंगल गुण होते हैं जो हमें एलर्जी से दूर रखते। इसमें शरीर को रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की ताकत है।

    तोरई के डंठल को दूध या पानी में घिसकर पीने से पथरी में लाभ होता है। एलर्जी से चकत्ते हो जाते या कोई कीड़ा काट लें तो तोरई के फूल या तना को मक्खन में घिसकर लेप लगाएं आराम होगा।

    तोरई के नुक़सान- यह ठंडा प्रकृति के होने के कारण वात की बिमारी में नुकसान पहुंचा सकता है।
 
 
    

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