विवाह पंचमी कब है 2021, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

      विवाह पंचमी धार्मिक तिथियों में से एक है। इसी दिन भगवान राम और माता सीता का शादी हुआ था। विवाह पंचमी भगवान राम और माता सीता के शादी की सालगिरह के रूप में मनाया जाता है। यह अगहन मास जिसे मार्गशीर्ष मास भी कहते हैं, अगहन‌ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। नेपाल, मिथिला, अयोध्या, सीतामढ़ी में मेला लगता है।‌‌विवाह पंचमी पर धूमधाम से भगवान राम और माता सीता की विवाह महोत्सव मनाया जाता है। तुलसीदास जी ने रामचरित मानस इसी दिन पुरा किया था।

तुलसी विवाह कब है और उसका महत्व

       विवाह पंचमी कब है, शुभ मुहूर्त जानें


     विवाह पंचमी 8 दिसंबर 2021 बुधवार को है। पंचमी तिथि 07 दिसंबर मंगलवार 11. 40 से शुरू हो बुधवार 8 दिसंबर 9. 25 तक है। इसलिए विवाह पंचमी बुधवार को ही माना जाएगा।

विवाह पंचमी पर जनकपुर सहित यहां घूमें

      विवाह पंचमी की पूजन विधि.....


    विवाह पंचमी के दिन सुबह उठ कर स्नान ध्यान कर, भगवान राम को पीला वस्त्र और माता सीता को लाल वस्त्र पहना पूजन करें। इस दिन रामचरितमानस पाठ या रामायण के कुछ प्रमुख पाठ बाल कांड में विवाह के कुछ हिस्सों चौपाई अवश्य पढ़ें। भगवान को तिलक लगा, फूल, तिल, अक्षत, भोग‌ चढ़ाएं। दिया जलाएं, आरती करें। दांपत्य जीवन में खुशहाली के लिए, कुंवारी लड़कियों को अच्छे जीवनसाथी के लिए इस दिन पूजा करना चाहिए।


     भगवान राम और माता सीता के विवाह की कथा....


       मर्यादा पुरुषोत्तम राम और माता सीता के विवाह की कथा यहां से शुरू होती है जब माता सीता प्रकट हुई। माता सीता धरती की पुत्री थी, वो राजा जनक और माता सुनैना की अपनी संतान नहीं थी। एक बार की बात है मिथिला में भयंकर सुखा पड़ा था, हर ओर त्राहि त्राहि मची थी। तब एक ऋषि ने राजा जनक से कहा आप एक यज्ञ करें उसके बाद खुद खेत में हल जोते तो ये समस्या समाप्त हो जाएगी।

तुलसी पूजा संबंधी नियमों को जानें

      ऋषि के कहे अनुसार यज्ञ शुरू हुआ, जब राजा जनक हर जोतने आए तो धरती के नीचे टोकड़ी में एक सुंदर सी बच्ची लिपटी मिली,राजा जनक ने उन्हें गोद उठाया और उनका नाम सीता रखा। राजा जनक के पास एक धनुष था जो भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद में दिया था, उसे भगवान परशुराम के अलावा कोई और नहीं उठा सकता थ। लेकिन सीता माता जब बचपन में पूजा अर्चना करते थे तो वो एक हाथ से धनुष उठा पूजा करते थे।

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      तभी राजा जनक ने कहा मैं अपनी सीता का विवाह उसी से करूंगा जो ये धनुष उठाए। माता सीता जब शादी लायक हुई तो राजा जनक ने स्वयंवर रखा जो ये धनुष उठा लेगा उससे अपनी पुत्री सीता का शादी करूंगा। देश विदेश से वीर योद्धा आए उस धनुष को हिला नहीं पाएं। कोमल, नवयुवक रूप में भगवान राम जब आए तो एक पल को लगा सबको इतने बलशाली लोग जब धनुष उठा नहीं पाए तो ये क्या करेंगे। तभी भगवान राम ने धनुष उठा कर तोड़ दिया।

बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव

      देवता गण स्वर्ग लोग से फूल बरसाने लगे, पुरा मिथिला खुशी से झूम उठा। भगवान राम विष्णु के अवतार थे माता सीता माता लक्ष्मी के अवतार हैं। सर्दियों में घूमने का प्लान है तो यहां जाएं

मिथिला में आज भी भगवान राम को कुटुंब मान गीत गाया जाता, सीता विवाह देखने का मजा नेपाल में आता है। इस विवाह पंचमी अवश्य जाएं, अगले पोस्ट में नेपाल में विवाह पंचमी के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे बने रहें।

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