खाटु श्याम जी किनके अवतार हैं, इनका इतिहास क्या है जानें

      खाटू श्याम जी भगवान कृष्ण के अवतार माने जाते हैं, माड़वारी या राजस्थान के लोग बहुतायत मात्रा में इनकी पूजा करते हैं। राजस्थान के सीकरी से 20 किलोमीटर दूर खाटु श्याम जी का मंदिर भी है। कुछ सालों तक तो बस राजस्थानी लोग में इनकी पूजा का प्रचलन था अब बहुत जगह इनकी पूजा की जाती है। खास कर एकादशी को इनके यहां बहुत भीड़ लगती है। 30 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी है, कोरोना के कारण इनका मंदिर भी बंद ही था‌ लेकिन इस एकादशी मंदिर खुलने वाला है। इनकी पूजा से कभी कोई कमी नहीं रहती, हर मनोकामना पूरी करते जाते। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं....


        खाटू श्याम जी किनके अवतार थे, इनका इतिहास क्या है......

       खाटू श्याम जी की कहानी महाभारत काल से जुड़ी है, महाभारत काल में जब कौरवों ने पांडवों को लाक्षाग्रह में मारने की कोशिश की तो पांडव बहुत दिनों तक वहां से छूप जंगल में रह रहे थे। वहां पांडव पूत्र भीम की मुलाकात राक्षसी हिडिंबा से हुई जहां उन्होंने कुंती की आशीर्वाद से गंधर्व विवाह किया। भीम और हिडिंबा से घटोत्कच्छ पैदा हुए। हिंडिंबा घटोत्कच्छ को लेकर जंगल में रहने लगी, बोली जब फिर मिलना होगा तब अवश्य आएंगे।


      घटोत्कच्छ की शादी प्राग्ज्योतिषपुर के मुरदैत्य की बेटी मोरवी से हुआ। जिसका पुत्र बर्बरीक हुए, शेरों के सामान बाल, घुंघराले बाल के कारण ही इनका नाम बर्बरीक पड़ा, वो भी पराक्रमी, बलशाली थे। देवी की आराधना कर तीन वाण आशीर्वाद में पाए जिससे दुनिया जीती जा सकती थी। देवियों ने बताया कि विजय नामक एक ब्राह्मण आएंगे तुम उनकी सेवा करना वो तुम्हारा कल्याण करेंगे। विजय नामक ब्राह्मण आए और बोले उनको साधना करना है कुछ राक्षस उसमें विध्न डालेंगे आप हमें बचाओ, बर्बरीक ने सभी राक्षसों का सफाया कर ब्राह्मण विजय का साधना पूर्ण किए।


       राक्षसों का सफाया करने पर नागों के राजा वासुकी आएं और बोले मैं बहुत प्रसन्न हुं मांगों क्या वरदान मांगते हो, उसी में बर्बरीक को हर युद्ध में विजय होने का वरदान मिला जिससे उनका नाम सिद्धसेन भी पड़ा।


        महाभारत में बर्बरीक...

     कुछ समय बाद जब कौरवों और पांडवों का युद्ध शुरू हुआ तो पुरे दुनिया के राजा महाराजा सब युद्ध में भाग लेने आ गए, बस एक द्वारिका राज्य इस युद्ध में शामिल नहीं हुआ था। उस समय दोनों कौरवों और पांडवों के पास 7-7 अक्षुण्ण सेना थी जब द्वारिका कौरवों में शामिल हो गया तो कौरवों के पास 11 अक्षुण्ण सेना हो गई। मोरवी को लगा इससे पांडव कहीं हार ना जाएं इसलिए उन्होंने बर्बरीक को कहा जो हार रहा हो तुम उनके साथ जाना... खाटू श्याम को हारे का सहारा इसलिए कहा जाता है।

       बर्बरीक जब युद्ध के लिए निकले तो भगवान कृष्ण ब्राह्मण का वेश धारण कर रास्ते में बर्बरीक से मिले। पुछे कौन‌ हो कहां जा रहे तो उन्होंने कहा मैं भीम का पौत्र, घटोत्कच्छ और मोरवी का पुत्र हुं जो वीर योद्धा के साथ मेरी गुरु भी है। मैं महाभारत का युद्ध लड़ने जा रहा हूं,  भगवान कृष्ण ने कहा तुम अकेले वहां जा कर क्या करोगे, ना तुम्हारे पास सेना है और ना अस्त्र शस्त्र, और वो हंसते लगे... तुम इसी तीन वाण से जीत जाओगे।

      बर्बरीक ने कहा ये युद्ध जीतने के लिए मेरा एक वाण ही काफी है, ये भगवान शिव से प्राप्त वाण है एक बार में लक्ष्य करते ही संपुर्ण शत्रु का नाश कर ही लौटता है चाहे वो जहां छिपा हो। तीन वाण में तो पुरा ब्रह्मांड ही समाप्त हो जाएगा। कृष्ण जी बोले अगर ये सही है तो मुझे दिखाओ- वो पीपल का पेड़ है उसके सारे पत्ते एक बार में काट दो तब समझे।

      बर्बरीक ने लक्ष्य साधा,‌‌‌‌एक वाण चलाया उससे लाखों वाण बन गए और पीपल के सभी पत्तों को भेद दिया। भगवान एक पत्ता अपने पैर के नीचे छुपा लिए थे, वाण उनकी ओर आया बर्बरीक चिल्लाएं ब्रहामण अपने पैर जल्दी हटा लीजिए ना तो पैर को भेद ये पत्ते काट देगा। भगवान को लगा ऐसे में ये सभी शत्रु एक बार में ही खत्म कर देगा।

       उन्होंने कहा तुम सच में बहुत शक्तिशाली हो, इतना शक्तिशाली हो मुझे कुछ दान नहीं दोगे तो बर्बरीक बोले क्या चाहिए आपको तो ब्राह्मण ने कहा अपना शीश दान दें दो। बर्बरीक समझ गए ये कोई आम ब्राह्मण नहीं है उन्होंने खुशी खुशी दान दें दिया और बोले आप कौन‌ है तो भगवान कृष्ण ने अपना परिचय दिया। बर्बरीक बोले मुझे युद्ध देखने की इच्छा है।
      

       भगवान ने उन्हें सबसे ऊंचे पहाड़ के पीपल वृक्ष पर सर रख युद्ध का अवलोकन करने का वरदान दिया और कहा तुम्हें मेरे नाम से पूजा जाएगा। तुम्हारी पूजा मेरी पूजा मानी जाएगी। उनके शीश को राजस्थान के सीकरी से 20 किलोमीटर दूर खाटु गांव में दफनाया गया था, इसलिए वो खाटू श्याम जी के नाम से प्रसिद्ध है।


    इनके मंदिर के बारे में अगले पोस्ट में बताउंगी, आपको कैसा लगा मेरा पोस्ट कमेंट करें शेयर करें सब्सक्राइब करें... जय खाटू श्याम की....

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