नवरात्रि खत्म होते ही हिंदूओं का सबसे धार्मिक माह शुरू हो गया। 10 अक्टूबर से कार्तिक मास शुरू होने वाला है, कार्तिक मास में तुलसी पूजा का बहुत महत्व है। हर रोज स्नान कर बस एक लोटा तुलसी में जल देने से आपके जीवन में बहुत सारी लाभ मिलेगी। यह आपके वास्तु दोष को खत्म कर देता है। हां तुलसी पूजा बस सही ढंग से हो, तुलसी कब तोड़ें, कैसे तोड़े, तुलसी की पूजा कब करनी चाहिए, तुलसी में सिंदूर लगाएं या नहीं बहुत सारे नियम है। आज हम आपको तुलसी पूजा के संबंध में सारे नियमों को बताने जा रहे हैं। अच्छा लगे तो शेयर करें... अपने सारे इष्ट मित्रों, सगे संबंधियों को भी भेजें और अगर वो कुछ गलती करते हैं तुलसी पूजा में तो सुधार कर सकते हैं।
कार्तिक मास में करें ये उपाय पुरी होगी सभी मनोकामनाएं
तुलसी की पूजा संबंधी नियमों को जानें....
* हर रोज स्नान कर एक लोटा जल तुलसी में अवश्य दें। जल अर्पित करते हुए ये मंत्र बोलें -" महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते"
* तुलसी पत्ते को एकादशी, रविवार, सुर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण और रात में नहीं तोड़ना चाहिए। अगर रात में उपयोग है तो चुटकी या ताली बजाकर तोड़ें।
* तुलसी में रोज सुबह जल दें और शाम में दिया अवश्य दिखाएं, माता लक्ष्मी का वास होता है जहां ये नियम होता है।
* तुलसी का पौधा गुरुवार के दिन और कार्तिक मास में लगाना शुभ माना जाता है।
* तुलसी पौधा उत्तर या उत्तरपूर्व और आंगन में लगाना सही है। अगर घर में वास्तु दोष है तो जिस जगह वास्तूदोष हो वहां लगा दें वास्तदोष खत्म हो जाएगा।
* तुलसी पत्ते कभी वासी नहीं होते हैं इसके पुराने पत्ते भी उपयोग किया जाता है। माता दुर्गा, भगवान शिव और गणेश जी को तुलसी पत्ता नहीं चढ़ाना चाहिए।
* तुलसी तोड़ते समय ऊं सुभद्राय नमः, ऊं सुप्रभाय नमः, मातस्तुलसी गोविंद हृदयानंद कारिणी नारायणस्य पूजार्थं चिनोमी त्वां नमोस्तुते.... पढ़ना चाहिए।
* दिया कभी भी तुलसी पौधे के जड़ में नहीं जलाना चाहिए। रविवार को तुलसी में जल नहीं देना चाहिए।
* भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है। इसलिए भगवान विष्णु को तुलसी, तुलसी पत्ता, मंजर ये सब अवश्य चढ़ाएं।
* तुलसी में हल्दी या सिंदुर का तिलक कर सकते हैं।
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