बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव

    10 फरवरी ‌‌‌‌को बसंत पंचमी है। इस दिन बाबा का तिलक का दिन माना जाता है। मिथिलांचल वासी यहां आते हैं और हर्षोल्लास से तिलकोत्सव मनाते हैं। मिथिलांचल वासी का आना शुरू माघी अमावस्या के बाद से हो जाता है।इस ठंड‌ में वो लोग मोटे बांस का कांवर बना कर, जिसमें पहनने ओढ़ने  का सामान, खाने पीने का सामान सब कुछ रहता है।

    मिथिलांचल वासी अपने आप को बाबा का साला‌ मानते हैं।इस नाते वो शिवलिंग पर अबीर-गुलाल और लड्डू चढ़ाते हैं। शिवरात्रि में बारात लेकर आने का न्योता देते है।इन‌ सबको तिलकहरु कहा जाता है। माता पार्वती को बहन
मानने वाले मिथिला वासी पुरे उमंग के साथ अबीर-गुलाल उड़ाते हैं,एक दूसरे को गुलाल लगाकर बधाई देते हैं फिर फगुआ गाते हैं। इस दिन प्रांगण में तो भीड़ बहुत रहती लेकिन देखने में बहुत मनमोहक लगता है।
बाबा बैद्यनाथ का तिलकोत्सव
   बाबा मंदिर में तिलकहरुए अपने घर से लाए हुए घी बाबा पर चढाते है। ये घी इतना चढ़ता है कि पुरे साल बाबा मंदिर में जो अखंड दीप जलता है उसी में इसका उपयोग करते हैं।

    बसंत पंचमी के दिन लक्ष्मी-नारायण मंदिर पर श्रृंगार के समय आम का मंजर, मालपुआ और अबीर-गुलाल चढ़ाते हैं। बसंत पंचमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक श्रृंगार पूजा के बाद अबीर गुलाल चढ़ाया जाता है।

   तिलकहरुए का तो आना शुरू हो गया है।इन लोगों का जमावड़ा आर मित्रा स्कुल, आर एल सरार्फ स्कूल, क्लब ग्राउंड मैदान,बीएड कालेज,देवघर कालेज,मानसरोवर के किनारे और भी कई जगहों पर खुले आसमान के नीचे जमा होते हैं।

   आप लोग भी जरुर इस उत्सव में शामिल होइए.. बहुत अच्छा लगेगा..

   

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