हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष बातें

    19 अप्रैल शुक्रवार को चैत्र मास का पुर्णिमा है। हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन हनुमान जी पैदा हुए थे। इसलिए हर इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं। हनुमान जी के जन्मोत्सव पर लोग रामचरितमानस के सुंदरपाठ का पाठ करवाते हैं, हनुमान चालीसा का पाठ करवाते, प्रसाद का वितरण करवाते हैं।


    हनुमान जन्मोत्सव को कुछ लोग हनुमान जयंती कहते हैं। जयंती मतलब मरने वाला दिन होता है, जबकि इस दिन हनुमान जी पैदा हुए थे। इसलिए आपसे निवेदन है कि इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव कह कर मनाएं।


     हनुमान जन्मोत्सव की कथा

     जब समुद्रमंथन खत्म हुआ तो भगवान शिव ने भगवान विष्णु को मोहिनी रुप में देखने की इच्छा जताई। भगवान विष्णु देवताओं और असुरों को तो अपना मोहिनी रूप दिखाया ही था। मोहिनी रूप में भगवान शिव ने जब देखा तो वो कामातुर हो गए और अपना वीर्यपात कर दिया। वायुदेव ने यह बीज वानर राज केसरी की पत्नी अंजना के गर्भ में डाल दिया। इस तरह अंजना के गर्भ से वानर रूप में हनुमानजी का जन्म हुआ। इसलिए उन्हें भगवान शिव का 11 वां रुद्र अवतार माना जाता है।

    हनुमान जी आज भी धरती पर विद्यमान हैं। इस बात का प्रमाण महाभारत में भी मिलता है। हनुमान जी कलयुग में धर्म की रक्षा करने के लिए मौजूद रहेंगे। भगवान राम ने इनको चिरायु होने वरदान दिया है। कहते हैं जहां राम कथा होती है वहां हनुमानजी किसी ना किसी रूप में मौजूद रहते हैं।

    हनुमान जी का व्रत रखने वालों को कुछ नियम का पालन करना आवश्यक होता है। व्रती को ब्रह्मचैर्य का पालन करना चाहिए।सुबह उठ कर भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी का स्मरण करना चाहिए। पूजा में हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।







   




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