हरतालिका तीज सुहागन महिलाओं का मुख्य पर्व है, इसमें अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत करती है। यह मुख्यतः बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। सुहागिन स्त्री यह तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती जैसे जोड़ी बनी रहे इसलिए करती है। यह भादो मास यानी भाद्रपद मास में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के एक दिन पहले यह व्रत मनाया जाता है।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त.....
हरतालिका तीज व्रत को भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को मनाया जाता है। साल 2024 में 05 सितंबर को दिन 12.21 में तृतीय तिथि आरंभ हो रहा है और 06 सितंबर को शाम 03.21 समाप्त हो जाएगा। उदयातिथि के अनुसार 06 सितंबर को हरतालिका तीज व्रत मनाया जाएगा।
हरतालिका तीज नहाय खाय - 05 सितंबर 2024 गुरुवार
हरतालिका तीज व्रत - 06 सितंबर 2024 शुक्रवार
ये व्रत सुहागन स्त्री अपने पति की लंबी आयु, परिवार की सुख समृद्धि के लिए और कुंवारी लड़की मनचाहा पति पाने के लिए करती है। माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए यह व्रत किया था,इस पूजा में भगवान शिव की ही पूजा मुख्य रूप से होती है।
हरतालिका नाम पड़ने के पीछे कारण.....
हरतालिका तीज का नाम पड़ने का कारण यह है कि हरतालिका दो शब्दों से बना है हरत और आलिका, हरत मतलब हरण करना और आलिका मतलब सहेली। हरतालिका मतलब हरण करने वाली सहेली। माता पार्वती भगवान भोलेशंकर को अपना पति बचपन में ही मान चुकी थी लेकिन उनके पिता हिमालय चाहते थे कि उनका विवाह भगवान विष्णु से हो और वो जब विवाह तय कर के आए तो पार्वती माता बहुत दुखी थी। उनकी सहेली आई और उनको सबसे छुपा कर एक घनघोर जंगल में ले गई, जहां माता पार्वती ने पूजा तपस्या की। उनकी पूजा से प्रसन्न महादेव प्रकट हुए और वरदान देते हुए उनकी मनोकामना पूरी की।
हरतालिका तीज का पूजन विधि....
हरतालिका तीज का पूजा सुबह सुबह या फिर प्रदोष काल में किया जाता है। हरतालिका तीज व्रत एक दिन पहले ही कुछ तैयारी कर लिया जाता है। हरतालिका तीज के एक दिन पहले नमक नहीं खाया जाता है, सुहागन स्त्री द्वितीय तिथि को पुरे दिन फल, मिठाई या दुध से बने मिठाई, मालपुआ, हलुआ आदि भगवान को चढ़ा तब खाती है, व्रत असली तृतीय तिथि को शुरू होता है। इस दिन पुरे 24 घंटे निर्जला व्रत रखा जाता है (विशेष परिस्थितियों में पानी/फल का सेवन कर लेना चाहिए)।
* सुबह उठकर स्नान ध्यान कर सबसे पहले 16 श्रृंगार करना चाहिए, अगर संभव हो नवीन वस्त्र ही धारण करना चाहिए।
* हरतालिका तीज में पूजन सामग्री - गणेश जी, गौरी-शंकर की मुर्ति, घर पर मिट्टी से बना लें, सिंदुर, नारियल, श्रृंगार का सामान, चुड़ी, चुनरी, भोलेनाथ को चढ़ाने के लिए वस्त्र (लाल पीला कपड़ा), घी, दिया, कपूर, पान, प्रसाद (मिठाई,फल), कलश में जल, बेलपत्र, फूल (लाल और पीला), आक ,धतुरा, शमी का पत्ता, केला का पत्ता, दुध, दही, मौली, अक्षत, गणेश जी के लिए दुर्वा, जनेऊ, तुलसी पत्ता सब रखें।
* हरतालिका तीज व्रत में सोना नहीं चाहिए, बहुत सी सुहागन तीज व्रत में पुरा दिन सोते रह जाते हैं ऐसा नहीं करना चाहिए।
* हरतालिका तीज पूजा विधि में सबसे पहले स्नान ध्यान कर मिट्टी से से गौरी, गणेश और भोलेनाथ की मुर्ति बना लें। पहले गणेश जी का पुजा करें, उनके दूब, फूल, प्रसाद चढ़ाएं। तब महादेव को पंचामृत से अभिषेक कर, बेलपत्र, शमिपत्र, आक, धतुरा, फूल प्रसाद चढ़ाएं और फिर माता को फूल, प्रसाद, श्रृंगार का सामान, चुनरी चढ़ाएं। सुबह पूजा करने के बाद सब वहीं रहने दें।
* शाम में फिर वहां आरती, पूजा करें। पुरी रात भजन, गाना पाठ आदि करें। सुबह सबको पानी में प्रवाहित कर प्रसाद ग्रहण करें और सुहागन स्त्री को सिंदूर करें खुद भी करवाएं जिसे सुहाग देना कहते। फिर भोजन ग्रहण करें....
ये सब हमारे यहां जैसे होता है हमने बताया आपको कुछ और जानकारी हो तो कमेंट में अवश्य बताएं।
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