Ganesh chaturthi गणेश जी के जन्मोत्सव का पर्व है, यह पुरे देश में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और साउथ में कुछ विशेष रूप से मनाया जाता है। यह 10 दिनों तक चलने वाला पर्व है। यह भादो मास के चतुर्थी को शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी तक चलता है। इस दिन बिहार में चौरचन पूजा भी होता है जिसमें चांद को देखना वर्जित माना जाता है इसके बारे में पोस्ट में बताएंगे। गणेश जी को घर पर बैठाने से पहले कुछ विशेष बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए, 10 दिन तक गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है, गणेश जी का प्रिय भोग और गणेश जी को कैसे प्रसन्न करें, इन सब विषयों पर पोस्ट है ,आप अवश्य पढ़ें और शेयर करें.....
कब है Ganesh chaturthi गणेश चतुर्थी 2024...
Ganesh chaturthi भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, पुराणों के अनुसार भगवान गणेश जी का जन्म इसी दिन हुआ था। गणेश चतुर्थी मनाने का शुभ दिन 07 सितंबर 2024 को है। चतुर्थी तिथि 06 सितंबर 2024 के शाम 03.01 मिनट से शुरू होगा और 07 सितंबर को शाम 05.37 पर समाप्त होगा। 07 सितंबर शनिवार को पुरा दिन चतुर्थी तिथि ही है इसलिए यह 07 सितंबर को ही मनाया जाएगा। 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाएगा।
चौरचन या गणेश चतुर्थी पर चांद क्यों नहीं देखना चाहिए...
चौरचन या गणेश चतुर्थी पर चांद देखने से झूठ का कलंक लगता है। आप निर्दोष होते हुए भी कलंक के भागी बन जाते हैं इसलिए इस चांद नहीं देखना चाहिए। बिहार में इस दिन चंद्रमा का पूजा होता है तो वर्ती फल, दही लेकर तब चांद देखते हैं। इसके पीछे एक कहानी है.....
भगवान कृष्ण भाद्रपद की चतुर्थी का चांद देख लिया था जिस कारण उन्हें जामवंत की मणि चुराने का आरोप लगा था, तब नारद जी ने उन्हें बताया कि गणेश जी ने चंद्रमा को शाप दिया था भाद्रपद की चतुर्थी को जो कोई आपको देखेगा उसे चोरी का झुठा आरोप लगेगा। एक कथा के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीय को गणेश जी कहीं से भोजन कर के गुजर रहे थे, कि तभी चंद्रमा उनका पेट देख हंसने लगे।
गणेश जी को क्रौध आया और उन्होंने चंद्रमा से कहा आपको रूप का अहंकार हो गया है, मैं आपको क्षय होने का शाप दे देता हुं। तब से चंद्रमा रोज धीरे धीरे घटने लगे, इससे चंद्रमा दुःखी होकर सब देवता पास गये। सबने उनको भगवान शिव का तपस्या करने बोले। चंद्रमा पृथ्वी पर समुद्र किनारे शिवलिंग बना तपस्या करने लगे, तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अपने सर पर आसन दिया। और वहां प्रकट होने के कारण वहां सोमनाथ ज्योतिर्लिंग बना।
चंद्रमा अपनी ग़लती की माफी गणेश जी से मांगी, तब से रोज वो 15 दिन घटते बढ़ते रहते हैं। उनका शाप तो वापिस आ नहीं सकता था इसलिए भगवान गणेश ने कहा आज का चांद जो देखेगा उसे कलंक लगेगा। बिहार में लोग इसे चौरचन कहते हैं इस दिन फल, दही, मिठाई से चांद देखते और पूजा करते हैं।
गणेश जी को घर बैठाने से पहले ये जरूरी बातें अवश्य जानें.....
घर पर गणेश जी बैठाने से पहले कुछ जरूरी बातें अवश्य जाननी चाहिए जैसे मुर्ति कैसा होगा, किस दिशा में मुर्ति स्थापित करने से शुभ हो, कितना दिन तक घर में बप्पा को रखना चाहिए और भोग क्या क्या लगाना चाहिए । आइए जानते हैं...….
* गणेश जी की मुर्ति हमेशा बैठी हुई मुद्रा में हो और सुड़ उनका बायां साइड हो। साथ में गणेश जी की सवारी मुषक, लड्डू , मोदक अवश्य होनी चाहिए। गणेश जी की मुर्ति ईशान कोण या उत्तर दिशा में स्थापित करना चाहिए। गणेश जी के मुर्ति का रंग सिंदुरी या सफ़ेद रंग रहना चाहिए। गणेश जी की मुर्ति 12 अंगुल से बड़ी नहीं होनी चाहिए।
* गणेश जी का मुर्ति लेते समय ध्यान रखें जिसका पेट ज्यादा निकला हो वही मुर्ति लें। मुर्ति लाते समय गाजे बाजे के साथ शंख भी बजाएं। गणेश जी ही ऐसे देवता हैं जिनको लाते समय और विसर्जन समय दोनों समय गाजे बाजे बजाएं जाते हैं।
* गणेश चतुर्थी के 10 दिन तक बप्पा की पूजा जी जाती है लेकिन आप अपने श्रद्धा अनुसार 1,3,5,7 दिन में भी विसर्जन कर सकते हैं।
* गणेश जी को भोग में फल, मिठाई, लड्डू, मोदक और दूब, शमि पत्र अवश्य चढ़ाएं।
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