Happy Mother's day... मां, मां के लिए क्या ही लिखुं.. मां सबकी एक जैसी होती है प्यार एक जैसे ही करती है उसकी नजर में भेदभाव नहीं होता.. लेकिन थोड़ा कम ज्यादा हो जाता है मां की नजर में जो बच्चा कमजोर है मां उसका सपोर्ट थोड़ा ज्यादा करती है। कभी डांट से बचाती, कभी स्कूल जाने का मन नहीं हो तो रोक लेती, कभी भाई बहन की मार से बचा देती... मैं घर में छोटी थी मां मेरा सपोर्ट करती थी, जो मारता या डांटता कह देती बच्ची है छोड़ दो..बड़ी होगी सब खुद करेगी...
मैं थोड़ी आलसी रही हुं बचपन से और थोड़ी बिमार ज्यादा रहती थी तो मां को लगता क्यों परेशान होगी मेरा बहुत काम कर देती थी। सुबह में जब सब जल्दी जल्दी अपना बैग, टिफिन तैयार करते मैं धीरे धीरे अपना कर रही होती, मां झुठ का गुस्सा दिखाते कहती कल से स्कूल जाना बंद कर दो तुमसे ये सब नहीं होगा..वो जल्दी जल्दी मेरा सारा कुछ रेडी करती मैं बस कपड़ा जूता पहन स्कूल जाती मेरे बाकी भाई बहन कुड़ कुड़ करते रहते। जब कुछ अच्छा बनता मैं चटोरी भी रही अपना खा लेती और जब मां खाती मैं उनसे भी मांग लेती।
मां कुछ नहीं कहती खुशी खुशी दे देती फिर तीनों को देती वो दोनों कहते मां तुम खा लो ना हमने तो खाया ही लेकिन मां कहती ना मुझे पसंद नहीं तुम लोग खा लो। मां रोज मेरा बाल करती रोज 10 मिनट बाल देखती कहीं जूं ना हो जाए ना तब जुं मेरा सारा खुन पी जाएंगे मैं दुबली हो जाउंगी। मां शाम में सामने बैठ कर पढ़ाती, रोज सभी का स्कूल होमवर्क देखती आजतक कभी मिस नहीं हुआ होमवर्क, सभी कहते कि मां इसके जैसी हो बच्चों पर बहुत मेहनत करती.. मध्यम वर्गीय परिवार था, कभी हमें कमी महसूस होने नहीं दिया..आज मां बुढ़ी हो गई आज भी जब मैं जाती तो कहती आओ बैठो बाल देख दुं चंपी कर दुं जबकि आंखों पर मोटा चश्मा लग गया... लेकिन उसके हाथों में जादू है हाथ लगाते ही लगता सब ठीक हो गया...बस मां का आशीर्वाद बना रहे...
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