वट सावित्री पूजा 2023 कब है

       वट सावित्री पुजा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती है। इस बरगद के पेड़ की पूजा महिलाएं करती है। बरगद पेड़ की पूजा कर सदा सुहागन और घर बच्चे खुशहाल की कामना करती है। वट सावित्री पुजा ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर पूजा करने जाती हैं, कुछ जगहों पर वट सावित्री व्रत 1 दिन पहले ही नमक, प्याज लहसुन छोड़ देती है जिसे नहाय खाय कहते हैं तब दुसरे दिन पूजा करती है।



  ‌‌‌        वट सावित्री पूजा 2023 कब है...शुभ मुहूर्त जानें...

         वट सावित्री पूजा ज्येष्ठ मास के अमावस्या यानी 19 मई 2023 शुक्रवार को है। अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को संध्या 07.37 से लेकर 19 मई को शाम 6.17 तक है। 

     वट सावित्री पूजा में वट वृक्ष का महत्व....

    वट वृक्ष के बारे में कहा गया है कि उसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश सभी देवता विद्यमान हैं। वट वृक्ष बहुत लंबी उम्र वाला पेड़ है और ये अपने तक सीमित नहीं रहता है इसकी जटाएं और भी पेड़ बनाती हैं ये विशाल पेड़ होता है।औरत इसकी पूजा इसलिए करती है कि उनका सुहाग और परिवार भी‌ इसी‌ वट वृक्ष के जैसे विशाल रहे...


     वट वृक्ष के छाल में भगवान विष्णु, जड़ में ब्रह्मा जी और इसकी शाखाओं में भगवान शिव का वास है। लटकती जटाओं में मां सावित्री का वास होता है इसलिए वट वृक्ष की पूजा करने से तीनों देवताओं और सावित्री मां से सुहाग का वरदान मिलता है।

     वट सावित्री कथा....

     प्राचीन समय में एक राजा थे अश्वपति, उनके शादी को काफी समय हो गया लेकिन कोई संतान नहीं थी। बहुत सालों तक हवन पूजन होते रहा तब भगवान प्रसन्न होकर उन्हें एक पुत्री होने का वरदान दिया। एक पुत्री हुई जिसका नाम उन्होंने सावित्री रखा। सावित्री सुंदर, तेजस्वी और गुणवान थी, राजा अश्वपति को उनके शादी की चिंता होने लगी, उनके मन लायक कोई वर नहीं मिल रहा था।

       तब राजा ने कहा तुम खुद वर ढुंढ लाओ..वो घने जंगल में जा रही थी तो वहां राजा द्दुमतसेन के पुत्र सत्यवान मिले, राजा द्दुमतसेन का राज्य किसी ने छीन लिया था। सावित्री सत्यवान को अपने साथ ले गई और पिता से बोले इनसे ही शादी करना चाहती हुं। राजा अश्वपति मान गए तब वहां नारद जी आए बोले राजन् आप यह क्या कर रहे सत्यवान सब गुण से अच्छा है लेकिन ये अल्पायु है। राजा चिंतित हुए लेकिन सावित्री के हठ के आगे एक ना चली शादी हो गई।

     शादी के एक साल बाद ही सत्यवान मर गये, यमराज जब सत्यवान को लेकर जा रहे थे तो सावित्री भी उनके पीछे पीछे चल पड़े.. यमराज बोले इसका समय पूरा हो गया है क्यों मेरे पीछे आ रही अब इसके प्राण मैं वापस नहीं करूंगा लेकिन सावित्री बोले मुझे पति के साथ चलने का हक है, जब बहुत दूर तक सावित्री चलते ही गये तो यमराज ने कहा मांगों क्या मांगती मैं तुम्हारी धर्म निष्ठा, पतिव्रता को देख प्रसन्न हुं तो सावित्री ने कहा मेरे ससुर को सारा राज पाठ कभी खत्म नहीं होने वाला राज्य और 100 पोतों को राज करते देखें इसलिए आंख भी मिल जाएं क्योंकि वो अंधे थे। यमराज तथास्तु बोले... बस सावित्री ने कहा जब पति ही नहीं तो पोते कैसे होंगे आप सत्यवान को जिंदा कीजिए आपने वरदान दिया... यमराज मुस्कुरा कर बोले जा बेटी...तेरे पति वट वृक्ष के नीचे सुरक्षित है... आज के बाद जो वट वृक्ष की पूजा करेगा उसका सुहाग अमर रहेगा...
    

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