कलश स्थापना कब है, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि जानें

      नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। नवरात्रि का पहला दिन कलश स्थापना से शुरू होता है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से दशमी तक माता के भक्ति में लीन रहते हैं। प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना होता है।‌‌‌अभी पितृपक्ष चल रहा है, ये समाप्त होते ही नवरात्रि शुरू... अश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। नवरात्रि में कलश स्थापना विशेष महत्व रखता है। इसलिए यह शुभ मुहूर्त में हो और इसकी पुजा विधि क्या क्या है इसका ध्यान अवश्य रखना चाहिए।‌‌‌हम इस पोस्ट में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि बताने जा रहे हैं। आपको पसंद आए तो शेयर जरूर करें।


        कलश स्थापना कब है और शुभ मुहूर्त....


          कलश स्थापना 7 अक्टूबर गुरुवार को है। कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6.07 से 7.17, 9.33 से 11.31 तक रहेगा। माना जाता है कि कलश स्थापना के बिना नवरात्रि पूजन अधुरा है, नौ दिन पुजा का कोई फल नहीं मिलता है। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना किया जाता है। नौ दिन सुबह शाम या फिर अखंड दिया जलाना चाहिए कलश के सामने, यह कलश शास्त्रों के अनुसार विराट ब्रह्मांड का प्रतीक है।

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        कलश स्थापना का पूजन विधि....


       कलश स्थापना नवरात्रि पुजा के पहले दिन होता है। सुबह सुबह पूजा का कमरा अच्छी तरह साफ कर लें। फिर स्नान ध्यान कर, पारंपरिक वस्त्र जैसे धोती साड़ी पहन कर पूजा पर बैठे। पूजा ् वाले कमरे में पूजा स्थल के पास अच्छी जगह की मिट्टी का एक परत बिछा दें उसको पानी से फिर गिला कर दें। माता की मूर्ति सामने रखें और माता का ध्यान कर मिट्टी पर अक्षत, फूल और गंगा जल ले भगवान वरुण का आवाहन करें।

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     सुबह 4 बजे के आसपास दो मुट्ठी जौ भिंगो कर रखें और उस मिट्टी पर पुरा छिड़क दें। अब उस पर मिट्टी का एक कलश गंगा जल भर कर रखें। कलश में फिर सर्वौषधी, पंचरत्न डालें। मिट्टी पर सप्तधान्य और सप्तमृतिका डालें। कलश के ऊपर आम का पल्लव (पत्ता), उस पल्लव पर मिट्टी के ही बर्तन में चावल भर कर,फिर जटा वाला नारियल लाल में लपेट कर रखें। माता दुर्गा का आवाहन कर पूजा शुरू करें। 


       पूजन मंत्र दुर्गा सप्तशती की किताब में मिल जाएगा। कलश स्थापना के बाद गणेश जी और सभी देवताओं की पूजा करें, भगवान भोले और ब्रह्मा जी की पूजा करें। फिर माता दुर्गा की पूजा कर दुर्गा सप्तशती पाठ करें। पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा करें।

 दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करें इस लिंक पर क्लिक करें।

       

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