नवरात्रि में हम मां दुर्गा की पूजा दुर्गा सप्तशती या रामायण पढ़ते हैं। दुर्गा सप्तशती पाठ हम कैसे करें बहुत से पाठकों का सवाल है इसलिए आज हम दुर्गा सप्तशती पाठ में क्या क्या पढ़ना है उस पर लिख रहे।
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ माता को प्रसन्न करने की चाभी है। जैसे हर भगवान की पूजा करने के लिए उनके नाम की स्तुति और आरती करते हैं ठीक उसी तरह माता के लिए भी दुर्गा सप्तशती पाठ आवश्यक है। माता के भक्तों के मन में दुर्गा सप्तशती पाठ को लेकर बहुत संशय होता है कि क्या पढ़ें, रोज कितना पाठ करें आदि।
दुर्गा सप्तशती 13 अध्याय का पाठ होता है, उसके साथ और भी बहुत चीज होती है जो पढ़ने चाहिए। अगर आपको समय है तो रोज 13 अध्याय पढ़ सकते हैं ना तो अलग अलग कर पाठ भी कर सकते हैं।
दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करें.....
* सबसे पहले गणेश पूजा, शिव पूजा, दश दिक्पाल आदि देवता का पूजन करें। फिर आचमन करें। ये पूजा विधि नित्य पूजा प्रकाश किताब में दिया है आप उससे पढ़ सकते तो या दुर्गा सप्तशती में ही पाठ विधि से जा कर पढ़ सकते हैं।
ये सब आपको रोज करनी है।
* फिर अथ सप्तशलोकी दुर्गा, श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्, अर्गला, कीलक, शापोद्धार ये पढ़ें।
* फिर शुरू होता है 13 अध्याय पाठ, अगर आपके पास समय की कोई बंदिश नहीं है तो 13 अध्याय रोज पढ़ सकते हैं। ना तब 13 अध्याय को विभाजित कर दें। रोज 1-2 अध्याय पढ़ सकते हैं।
* जैसे 9 दिन में आपको 13 अध्याय खत्म करना है तो पहले दिन पाठ 1 कर लिए, दुसरे दिन पाठ 2-3 तीसरे दिन पाठ 4-5, चौथे दिन 6-7, पांचवें दिन 8, छठा दिन 9-10, सातवां दिन 11, आठवां दिन 12-13 फिर नवमी के दिन फिर पुरा पाठ कर आप हवन कर लें।
* रोज फिर अध्याय पढ़ने के बाद सिद्धिकुंजिकास्त्रोतंम, क्षमाप्राथना, रात्रिदेवीसुक्त पाठ में बस करें। बस उसके बाद मां दुर्गा की आरती करें।
* अगर पाठ इतना समय या स्वास्थ्य के कारण नहीं पढ़ पा रहे हैं तो कुंजिकास्तोत्र भी पढ़ लें रोज आपका पाठ संपुर्ण माना जाएगा।
* दुर्गा सप्तशती पाठ संस्कृत और हिन्दी दोनों में आती है आपको जो आता है वहीं पढ़ें।
दुर्गा सप्तशती पाठ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए....
* पाठ का उच्चारण हमेशा स्पष्ट और सही होना चाहिए।
* पाठ चिल्ला चिल्ला कर करने की आवश्यकता नहीं है। धीरे धीरे होंठ हिला कर भी कर सकते हैं।
* पाठ हमेशा साफ और स्वच्छ कपड़ों में ही करनी चाहिए। कपड़ा धुला हो, आसनी पर बैठ तब पाठ करें।
* आसनी कुश या उन के कपड़े का होना चाहिए। आसनी पर बैठ कर शांतचित्त होकर तब पाठ करें। ये नहीं कि पाठ इधर कर रहे ध्यान बाहर है कि बाहर क्या हो रहा।
* पाठ करते समय दीया जला हुआ रहना चाहिए। अगरबत्ती,धूप आदि सब पर भी ध्यान अवश्य रखें।
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