माता रानी भक्तों के घर आ रही है, अपनी कृपा बरसाने। ये पुरे दिन हमारे घर, गली में कितनी चहल पहल रहती है। हर कोई मां के स्वागत में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं। नौ दिन माता के नौ रूपों की पूजा करते हैं, पहले दिन कलश स्थापना से शुरू होती है पुजा फिर सुबह शाम माता का पुजा, आरती मंदिर, घर में धूमधाम से मनाई जाती है।
दुर्गा पूजा की तैयारी तो महीने पहले से शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार कोरोना के कारण भीड़ पंडाल तो ना होगी लेकिन माता की पूजा, कलश स्थापना, नौ दिन का पाठ सब कुछ होगा। हर साल नवरात्रि आश्विन मास के पितृपक्ष होने के तुरंत बाद शुक्ल पक्ष में हो जाता है लेकिन इस बार एक अधिक मास लगने के कारण पितृपक्ष के एक महीने बाद दुर्गा पूजा मनाया जायेगा।
साल 2020 में शारदीय नवरात्र 17 अक्टुबर से शुरू होगी और 25 अक्टुबर को विजयादशमी होगा। शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा तिथि को यानि 17 अक्टुबर को कलश स्थापना होगी।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त सुबह 6.27 से 12.30 तक है। इस बार 25 अक्टुबर को ही नवमी और दसवीं तिथि है। 25 अक्टुबर को सुुुबह 7.41 तक नवमी तिथि रहेगा और फिर दसवीं तिथि शुरू...
https://aayushmank.blogspot.com/2020/10/Kalash-asthapna-ka-subh-muhurt-aur-mahtwa-jane.html
माता का आगमन....
माता का आगमन घोड़े पर है और प्रस्थान हाथी पर होगा। घोड़े पर आगमन का कुछ शुभ का संकेत तो ना है। ज्योतिष के अनुसार घोड़े पर आगमन का मतलब पड़ोसी देशों से युद्ध, या राजनीति उथल-पुथल की संभावना, रोग शोक भी हो सकती है। लेकिन जिस आदमी पर माता की कृपा होगी उसका किस्मत रेस के घोड़े जैसा दौड़ने भी लग सकता है।
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