कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और महत्त्व जानें

      नवरात्रि मतलब नौ रात जो बस हम भक्ति भाव में डुबे रहने की रात मानी जाती है। इन नौ दिनों तक हम मां दुर्गा की पुजा पुरे तन मन से करते हैं। इसमें मां के अलग अलग नौ रूपों की पूजा होती है। यह नवरात्र 17 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। इस पोस्ट में हम नवरात्र के पहले दिन होने वाले कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री, पुजा विधि और महत्त्व बताने जा रहे हैं। कुछ लोग पंडित जी से कलश स्थापना करवाते, कुछ खुद भी करते तो पूजा विधि हो सकता कुछ अलग लगे आप अपने हिसाब से देख लें। ...



         कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-

     

        कलश स्थापना 17 अक्टूबर शनिवार दिन सुबह 6.17 से 10.13 तक, और 11.44 से 12.29 तक है। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है इसलिए हो सके तो तय समय पर ही कलश स्थापना करवा लेना चाहिए। पूजा के समान वगैरह एक दिन दिन पहले मंगवा लेना चाहिए। शुभ मुहूर्त में किए कार्य शुभ फल प्रदान करने वाला होता है।


      कलश स्थापना का महत्व-

         हिंदू धर्म में कलश को मंगल कामनाओं का प्रतिक माना जाता है। हर शुभ काम से पहले हम कलश की स्थापना कर सुख समृद्धि और शांति के लिए स्थापित किया जाता है। कोई भी शुभ कार्य हो उसमें कलश स्थापना मंगल कामनाओं का प्रतिक है।


        पूजा सामग्री-


      कलश स्थापना में लगने वाली सामग्रियों का लिस्ट देखें। 

        * मिट्टी का कलश ( अपने हिसाब से देख लें)

        * मिट्टी

         * जौ

       * सप्तधान

        * कलश का ढक्कन

        * गंगा जल

        * माता की फोटो

       * पान

        * केला का पत्ता

        * आम का पत्ता

        * 2 फूलों की माला, फूल, दूब ( लाल फूलों की हो तो और अच्छा)

       * जटा वाली नारियल

       * अरवा चावल

       * तिल

        * मौली

       * लाल कपड़ा और चुनरी

       * पंचमेवा, फल

         * घी, बाती, दीया

        * पंचपल्लव

       * सप्तमृतिका ( पूजा दुकानदार दे देगा)

        * रोली , चंदन, सिंदुर, 

        
            पूजा विधि- 

       सबसे पहले नहा धोकर तैयार हो पूजा के कमरे में आ जाए। ऊन से बुना कंबल लें आसनी के लिए। पूजा का कमरा थोड़ा बड़ा हो तो अच्छा है। कलश के लिए पूर्व, उत्तर-पूर्व दिशा सबसे शुभ होता है। अपने पारंपरिक परिधान में पूजा करें तो ज्यादा अच्छा है। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करना चाहिए।

       जमीन पर शुद्ध मिट्टी का एक एक मोटा परत बिछा दें। फिर उस पर जल छिड़क लें। रोली चंदन से उस पर स्वस्तिक बनाएं। हल्दी उस पर छिड़कें..

         अब जौ उस पर बिछा दें, फिर कलश के गर्दन तक गंगा जल भर कर उसमें कुछ सिक्के डाल कर मंत्र पढ़ स्थापित करें। फिर कलश में कसेली डालें और फिर कलश के ढक्कन में चावल और आम का पत्ता रख ढक दें। उसके ऊपर लाल कपड़ा में लपेटा नारियल रखें। नारियल का मुख हमेशा आपके तरफ होनी चाहिए ना तब उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। आप इन‌ सभी पूजा की प्रक्रिया आप नित्य कर्म पूजा प्रकाश या दुर्गा सप्तशती पाठ में पढ़ सकते हैं जो हिंदी और संस्कृत में आसानी से मिल जाएगा।


       

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