नवरात्र यानी माता का दिन। साल में 4 नवरात्र होते हैं जिसमें दो नवरात्र हम लोग के घर में पूजा होता ही है। बाकी दो गुप्त नवरात्रि होते हैं जो बहुत कम लोग मनाते हैं या फिर बड़े माता मंदिर में मनाया जाता है। चैत्र नवरात्र को वासंतिक नवरात्र भी कहा जाता है। यह चैत्र महीने के प्रतिपदा से शुरू होता है। माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है जिससे घर में सुख-शांति और समृद्धि मिलती है। माता आपके सारे कष्ट दूर कर आपको खुशहाली प्रदान करती है।
चैत्र नवरात्र कब है....
चैत्र नवरात्र 25 मार्च से शुरू होगा और 2 अप्रैल को रामनवमी पर्व पर खत्म होगा। इस बार पुरे 9 दिन माता हमारे घर विराजमान होंगी। चैत्र नवरात्र के दिन ही हिंदू धर्म का नया साल शुरू होता है। विक्रम संवत 2077 की शुरुआत होगी। वैसे प्रतिपदा तो 24 मार्च को 2.57 PM से शुरू होगी।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त....
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 25 मार्च सुबह 6.10 बजे से 7.17 तक है। वैसे सुबह 6 बजे से 11 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं। प्रतिपदा 25 मार्च के शाम 5.17 तक है। नौ दिन माता के नौ रूपों की पूजा होगी।
माता इस बार नाव पर आ रही है और हाथी पर जाएंगी। नाव पर आने का मतलब इस बार बारिश बहुत होगा जो सामान्य जीवन के लिए बुरा प्रभाव छोड़ सकता है। लेकिन हाथी पर जा रहे हैं तो उतना नुकसान नहीं हो सकता है।
इस बार एक भी दिन का नुक़सान नहीं है। नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा होगी। पहले दिन 25 मार्च को कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा, दुसरा दिन 26 मार्च मां ब्रह्मचारिणी, तृतीय दिन 27 मार्च मां चंद्रघंटा की पूजा, चौथा दिन 28 मार्च मां कुष्मांडा देवी की पूजा, पांचवें दिन 29 मार्च मां स्कंदमाता, छठा दिन 30 मार्च मां कात्यायनी, सातवां दिन 31 मार्च मां कालरात्रि, आठवां दिन 01 अप्रैल महागौरी माता, 02 अप्रैल मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी।
माता इस बार नाव पर आ रही है और हाथी पर जाएंगी। नाव पर आने का मतलब इस बार बारिश बहुत होगा जो सामान्य जीवन के लिए बुरा प्रभाव छोड़ सकता है। लेकिन हाथी पर जा रहे हैं तो उतना नुकसान नहीं हो सकता है।
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इस बार एक भी दिन का नुक़सान नहीं है। नौ दिनों में माता के नौ रूपों की पूजा होगी। पहले दिन 25 मार्च को कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा, दुसरा दिन 26 मार्च मां ब्रह्मचारिणी, तृतीय दिन 27 मार्च मां चंद्रघंटा की पूजा, चौथा दिन 28 मार्च मां कुष्मांडा देवी की पूजा, पांचवें दिन 29 मार्च मां स्कंदमाता, छठा दिन 30 मार्च मां कात्यायनी, सातवां दिन 31 मार्च मां कालरात्रि, आठवां दिन 01 अप्रैल महागौरी माता, 02 अप्रैल मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी।
माता की पूजा विधि....
नवरात्र में माता की पूजा के लिए सबसे पहले माता की मूर्ति स्थापित करें। फोटो जो आपके पूजा रुम में हो। फिर माता को फूल, चंदन, अक्षत, गंगा जल और प्रसाद के लिए बादाम, मिश्री या मौसमी फल, बतासा का भोग लगाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ या रामायण पाठ करें। आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का रोज एक अध्याय या रोज 13 अध्याय पढ़ें। पहले दुर्गा सहस्रनाम,कवच, अर्गला, कीलक अवश्य पढ़ें। फिर ये सब कर क्षमा प्रार्थना पढ़ें। माता को धूप, अगरबत्ती, दीप दिखाएं।
नौ दिन लहसुन प्याज ना खाएं। ब्रह्मचर्य का पालन करें। फलाहार रखने में सामर्थ्य है तो रखें ना तब सादा भोजन करें। रोज पूजा नहीं कर सकते हैं तो सुबह शाम बस दुर्गा आरती करें। इससे घर रोग, दुःख, भय, कष्ट से मुक्ति मिलती है।
नौ दिन लहसुन प्याज ना खाएं। ब्रह्मचर्य का पालन करें। फलाहार रखने में सामर्थ्य है तो रखें ना तब सादा भोजन करें। रोज पूजा नहीं कर सकते हैं तो सुबह शाम बस दुर्गा आरती करें। इससे घर रोग, दुःख, भय, कष्ट से मुक्ति मिलती है।
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