शरद पूर्णिमा के दिन चांद से अमृत बरसता है, जानें इसका महत्व

       आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। यह पूर्णिमा दुसरे पूर्णिमा से ज्यादा महत्व रखता है। यह पूर्णिमा अमृत बरसाने वाला होता है। शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर शनिवार को है। इस दिन चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण हो अमृत बरसाता है। भगवान राम 12 कला के साथ पैदा हुए थे जबकि कृष्ण भगवान 16 कला के साथ। कला के बारे में विशेष जानकारी आपको अगर जानना‌ है तो कमेंट करे तो अगले पोस्ट में विस्तृत जानकारी देंगे।


       शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजा होता है।इस दिन रात में खीर बनाकर छन्नी से ढक कर खुले आसमान के नीचे रख दिया जाता है और आसमान से अमृत बरसता है। फिर रात 12 बजे के बाद खा लिया जाता है। माना जाता है इसमें बहुत ऐसी किरण का असर होता है जो बिमारियों को दूर करने में सहायक होता है।

     इस दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाया। हर गोपियों के साथ भगवान कृष्ण ने नृत्य किया। चंद्रमा ने भगवान कृष्ण के  महारास देखते हुए अपनी शीतल किरणों से पुरे प्रकृति पर बरसाया। उन्ही किरणों के कारण भगवान कृष्ण का चेहरा और दमकती आभा से भर गया। इसी दिन भगवान कृष्ण ने कामदेव की सुंदरता का घमंड तोड़ा था।

   शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करवानी चाहिए। शरद पूर्णिमा को कौमुदी व्रत कहा जाता है। कुंवारी लड़की व्रत रखें तो शादी होती है और शादी शूदा व्रत रखें तो संतान की उम्र लंबी होती है।शरद पूर्णिमा को कोजागरी  भी कहा जाता है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करते हैं जो जो रात भर भजन-कीर्तन या पूजा करता है मां लक्ष्मी वहां निवास करते हैं।

      शरद पूर्णिमा की किरणें जब शरीर पर पड़ती है तो शरीर को स्वस्थ रखता है। जिनको आंखों में प्रोब्लम लो है वो नंगी आंखों से चंद्रमा को देखे तो आराम मिलता है। कुछ आयुर्वेदिक लोगों का मानना है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को देखने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

      इस दिन भगवान की पूजा कर उन्हें खीर अर्पण कर भोग लगाएं फिर छत पर रख खुद खाएं। खीर बनाने के लिए पहले एक बर्तन में दूध गर्म कर लें। दूध तब तक गर्म करें जब तक वो जल कर आधा ना हो जाए। फिर उसमें अरवा चावल गिर दें। जब चावल आधा पका जाए तब उसमें काजू, बादाम, किसमिस, पिस्ता, इलाइची कुट कर डाल दें। चावल अब पूरी तरह पक जाए तो चुल्हे पर से उतार लें उसमें चीनी मिला लें।

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