त्योहारों का सीजन चल रहा है। अभी दूर्गा पूजा खत्म हुआ है और अब दिवाली आने वाला है। दिवाली पुरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह अंधकार पर प्रकाश का जीत है। इस दिन भगवान राम रावण का वध कर, माता सीता और लक्ष्मण सहित घर लौट थे।इस खुशी में पुरी अयोध्या दीपों से जगमगाया गया था तब से दिवाली मनाई जाती है। दिवाली माता लक्ष्मी और गणेश भगवान के पूजा का दिन भी है। दिवाली के पहले हम धनतेरस, नरक चतुर्दशी मनाते हैं तब दिवाली उसके बाद गोवर्धन पूजा.....
दिवाली कब है, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त जानें.....
दिवाली 27 अक्टुबर को है। यह कार्तिक मास के अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार एक कंफ्युजन है अमावस्या 28 को है तो दिवाली 27 को क्युं। उसका कारण है कि एक नियम के अनुसार जिस दिन संध्या में प्रदोष काल हो और रात्रि में अमावस्या उस दिन दिवाली मनाने का है। वैसे 27 के दिन में 12.35मे अमावस्या शुरू हो रही है और 28 के सुबह 9.09 में समाप्त हो रही। इसलिए दिवाली 27 अक्टुबर को ही मनाई जाएगी।28 को अन्नकुट मनाया जाएगा।
धनतेरस- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कोई भी धातु का कुछ सामान जरुर खरीदना चाहिए। इस दिन धन के देवता कुबेर और यमराज की पूजा करनी चाहिए। यमुना नदी में स्नान का भी विशेष महत्व है। धनतेरस पर दीपदान का बहुत महत्व है। धनतेरस 25 अक्टूबर को है।
नरक चतुर्दशी- नरक चतुर्दशी 26 अक्टूबर को है। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस दिन यम का दिया जलाया जाता है दक्षिण दिशा की ओर। इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। इस दिन सवेरे सुर्योदय से पहले तिल के तेल का मालिश अवश्य करें।
गोवर्धन पूजा - गोवर्धन पूजा दीवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह 28 अक्टूबर को है। इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को भगवान इंद्र के प्रकोप से बचाए थे। इस दिन गाय को पालने वाले गाय को अनाज से भरी थाली लेकर चुमावन होता तो। गााय के रस््स
रस्सी को रंगा जाता है।
धनतेरस- कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन कोई भी धातु का कुछ सामान जरुर खरीदना चाहिए। इस दिन धन के देवता कुबेर और यमराज की पूजा करनी चाहिए। यमुना नदी में स्नान का भी विशेष महत्व है। धनतेरस पर दीपदान का बहुत महत्व है। धनतेरस 25 अक्टूबर को है।
नरक चतुर्दशी- नरक चतुर्दशी 26 अक्टूबर को है। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस दिन यम का दिया जलाया जाता है दक्षिण दिशा की ओर। इस दिन यमराज की पूजा करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। इस दिन सवेरे सुर्योदय से पहले तिल के तेल का मालिश अवश्य करें।
गोवर्धन पूजा - गोवर्धन पूजा दीवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है। यह 28 अक्टूबर को है। इस दिन भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को भगवान इंद्र के प्रकोप से बचाए थे। इस दिन गाय को पालने वाले गाय को अनाज से भरी थाली लेकर चुमावन होता तो। गााय के रस््स
रस्सी को रंगा जाता है।
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