जानिए कहानी शंख की

     शंख - जब कभी हमारे घरों में पूजा होता है तो शंख जरूर बजता है। प्रायः हिंदू के घर में शंख पाया जाता है।‌ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी भी शंख की ध्वनि से खुश हो जाते हैं। पहले युद्ध की घोषणा भी शंखनाद कर होती थी।‌ शंख बजाने से बहुत फायदे‌ होते हैं। आइए शंक के बारे में ‌‌‌विस्तार से जानें...

       शंख की उत्पत्ति.....

  शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई। जिसे भगवान विष्णु ने अपने कर कमलों में धारण किया। समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले, जिनमें से शंख भी एक है। विष्णु पुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्रराज की बेटी है और शंख‌ उनका‌ बेटा। तो माता लक्ष्मी और शंख दोनों भाई बहन हुए। इसलिए माता लक्ष्मी की पूजा में शंख जरूर शामिल करना चाहिए।

   वैज्ञानिक के अनुसार शंख.. वैज्ञानिक के अनुसार शंख‌ बजाने से वातावरण में मौजूद कीटाणुओं का नाश होता है। शंख ध्वनि बहुत फायदेमंद है वातावरण के लिए। जिसको कैल्शियम की कमी है अगर वो‌ थोड़ा सा चुना‌ शंख में भर कर पीए तो फायदा होगा।‌ शंख बजाने वाले को ह्रदय या फेफड़े संबंधित बिमारी नहीं होती है।

    शंख दो तरह के होते हैं- दक्षिणावर्ती शंख और वामावर्त शंख। वामावर्त शंख में उसकी परतें बायीं ओर घुमी रहती है और दक्षिणावर्ती शंख में परतें दायीं ओर घुमी रहती है। वामावर्ती शंख बजाने के लिए एक छेद होता‌ है। जिसे बजाने ‌‌‌पर‌ वातावरण शुद्ध होता है।‌ दक्षिणवर्ती शंख घर में रहने से धन वृद्धि होता है। इसका प्रयोग मुख्यतः अर्घ्य देने के लिए होता है। दक्षिणावर्ती शंख में नर और मादा दोनों होता है। जिसकी परत‌ मोटी और भारी हो वो नर और जिसकी परत‌ पतली और हल्की हो वो मादा।

    शंख हर‌ साइज का होता है। दुनिया का सबसे बड़ा शंख केरल के गुरुवयुर के श्रीकृष्ण मंदिर में स्थित है।यह आधा‌ मीटर लंबा और 2 किलो भारी है। इसमें कान लगाकर सुनने पर समुद्र जैसे गंभीर आवाज सुनाई देता है। शंख‌ ही एक ऐसा जलीय जीव है जो हड्डी होकर भी पुज्य है।

    शंख भगवान शिव को छोड़ सभी देवताओं की पूजा में शामिल होता है। चुंकि भगवान शिव ने ‌‌‌शंखचूड दैत्य‌ का वध किया था तो उनकी पूजा में निषेध हैं।

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