शास्त्रों में मां स्कंदमाता की आराधना का काफी महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।
स्कंदमाता को सृष्टि की पहली प्रसूता स्त्री माना जाता है।स्कंदमाता शिव और पार्वती के दूसरे बेटे कार्तिकेय का एक नाम है। स्कंद की मां होने के कारण ही इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। मां के इस रूप की चार भुजाएं हैं और इन्होंने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाला भुजा से कार्तिकेय को पकड़ा है और इसी तरफ वाली निचली भुजा में कमल का फूल है।बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा और नीचे वाली भुजा में श्वेत कमल का फूल है।
सिंह वाहिनी मां की आराधना इस मंत्र के उच्चारण के साथ की जाती है -
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
साथ ही यह मंत्र भी पढ़ा जाता है -
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
घर के ईशान कोण (पूर्व और उत्तर दिशाएं जहां मिलती हैं) में हरे वस्त्र पर देवी स्कंदमाता का चित्र स्थापित करके उनका विधिवत दशोपचार पूजन करें। कांसे के दिए में गौघृत का दीप करें, सुगंधित धूप करें, अशोक के पत्ते चढ़ाएं, गौलोचन से तिलक करें, मूंग के हलवे का भोग लगाएं। इस विशेष मंत्र 'ॐ स्कंदमाता देव्यै नमः' को 108 बार जपें. इसके बाद भोग किसी गरीब को बांट दें।
मां को केले का भोग अति प्रिय है। इन्हें केसर डालकर खीर का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए। स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा जिनके संतान नहीं हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। सच्चे मन से मां की पूजा करने से व्यक्ति को दुःखों से मुक्ति मिलकर मोक्ष और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। नवरात्र के पांचवे दिन लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह् सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिंदी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरने से भक्त को संतान का प्राप्ति होती है
स्कंदमाता विद्वानों व सेवकों की जननी है। स्कंदमाता की पूजा का श्रेष्ठ समय है दिन का दूसरा प्रहर। इन्हें चंपा के फूल, कांच की हरी चूडियां व मूंग से बने मिष्ठान प्रिय है। देवी स्कंदमाता की साधना उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है, जिनकी आजीविका का संबंध मैनेजमेंट, वाणिज्य, बैंकिंग अथवा व्यापार से है। इनकी उपासना से पारिवारिक शांति आती है, रोगों से मुक्ति मिलती है तथा समस्त व्याधियों का अंत होता है।https://aayushmank.blogspot.com/2018/10/blog-post_12.html?m=1
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Jay maa
ReplyDeleteJai Mata Di
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