अधिकमास या पुरूषोत्तम मास 2026 के बारे में

          साल 2026 में अधिकमास या पुरूषोत्तम मास जिसे हमारे यहां मलमास भी कहा जाता है,यह एक माह अधिक होता है। यह हिंदी कैलेण्डर में हर तीसरे साल होता है। हमारे उत्तर भारत में इस मलमास को शुद्ध मास नहीं मानते हैं, इसमें कोई शुभ कार्य नहीं नहीं किया जाता है। यह मास भगवान विष्णु के नाम है इसलिए इसे पुरूषोत्तम मास कहा गया है।


           साल 2026 में अधिकमास या पुरूषोत्तम मास कब से शुरू हो रहा....

    साल 2026 में अधिकमास या पुरूषोत्तम मास ज्येष्ठ मास में लगेगा। यह अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार 17 मई 2026 को शुरू होगा और 15 जून 2026 को समाप्त होगा। मतलब अगले साल दो महीने ज्येष्ठ का होगा। इस मास में शादी, विवाह, गृह प्रवेश आदि कोई शुभ कार्य वर्जित रहेगा।

      अधिकमास या पुरूषोत्तम मास में एक पुरा महीना कैसे बढ़ता...

    सबके मन में ये एक बार जरूर आता है जब महीना 12 और दिन 365 ही होता तो ये पुरे एक महीना यानी 30 दिन कैसे बढ़ जाता। हमारे ऋषि मुनियों ने बहुत सटीक हिसाब लगाया है, वो चंद्र मास और सूर्य मास सबको देख कर हिंदू कलैंडर बनाया। हमारे हिन्दू कलैंडर में सूर्य वर्ष में 365 दिन और 6 घंटे होते हैं एक साल में जबकि चंद्र वर्ष में 354 दिन ही होते। जैसे अंग्रेजी कलैंडर में हर चौथे साल में एक दिन बढ़ता है जिसे लीप ईयर माना जाता है। 

       सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष को एक बराबर करने में 11 दिन का अंतर होता है और हर तीसरे साल ये एक महीने के बराबर हो जाता है। इस अंतर को बराबर करने के लिए हर तीसरे साल में एक अधिकमास जोड़ा जाता जिसे अधिकमास, मलमास या पुरूषोत्तम मास कहते हैं।

    अधिकमास को मलमास, पुरूषोत्तम मास क्यों कहा जाता है....

    हिंदू कलैंडर में बढ़े एक अधिक मास को अधिकमास कहा जाता है, इसमें कोई शुभ कार्य नहीं होता, मलिन हो जाता सब इसलिए इसे मलमास भी कहा जाता है। पुरूषोत्तम मास इसलिए कहा जाता है कि हर माह के कोई एक ना एक देवता हैं जैसे सावन महादेव के नाम, भादों गणेश जी के नाम, आश्विन दुर्गा जी के नाम, कार्तिक विष्णु भगवान के नाम तो जब अधिकमास हुआ तो कोई देवता अपना नाम ना दे रहे थे तो विष्णु भगवान ने अपना नाम दिया। इस मास विष्णु भगवान की पूजा करना विशेष फलदाई होता है।

     अधिकमास या पुरूषोत्तम मास के उपाय....

    अधिकमास में पुजा पाठ का अधिक महत्व होता है। इसमें गंगा स्नान,‌ दीप दान, कथा सुनना, मंत्र जाप, दान पुण्य करना‌ चाहिए।‌ भगवान विष्णु की कथा, सत्यनारायण भगवान की कथा, विष्णुसहस्त्रनाम पाठ करना चाहिए। 

     अधिक मास या पुरूषोत्तम मास के बारे में एक कथा है कि एक बार हिरण्यकश्यप नाम का राजा था जिसने भगवान से बहुत जप-तप कर वरदान लिया था कि उसे ना दिन में ना रात में, ना नर से ना भगवान से, ना कोई मास, ना शस्त्र ना अस्त्र से मारा जाए तो भगवान विष्णु इसी अधिकमास या मलमास में उसको नरसिंह अवतार लें वध किए थे।

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