रामनवमी कब है और क्यों मनाते हैं

      रामनवमी भगवान राम के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पृथ्वी पर भगवान हमेशा अन्याय को खत्म करने मनुष्य रूप में जन्म लिए है। एक बार धरती पर अधर्म बहुत बढ़ गया तब भगवान राम के रूप में जन्म लिए। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को भगवान राम का जन्म हुआ था। विद्वानों के अनुसार 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र सबसे उत्तम होता है।और भगवान राम इसी नक्षत्र में राजा दशरथ और कौशल्या के गर्भ से जन्म लिया। यही कारण है कि इस दिन रामनवमी मनाई जाती है। 


     चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से नवरात्रि भी शुरू होती है और नौवें दिन रामनवमी के साथ समाप्त होती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं। ध्वजा फहराते हैं। रामायण पाठ करते हैं, उपवास करते हैं कई लोग पुरा दिन सुंदरकांड का पाठ करते हैं।

    इस बार रामनवमी 14 अप्रैल 2019 रविवार को ‌‌‌‌है। रामनवमी 13 अप्रैल 11.41 से शुरू होकर 14 अप्रैल 09.35 तक है। रामनवमी का अभिजीत मुहूर्त 11.56 से 12.47 तक रहेेागा।

  भगवान राम के जन्म की कथा

    पुराणों में वर्णित है कि भगवान राम का जन्म त्रेता युग में हुआ था। उनके जन्म का उद्देश्य था मानव का कल्याण करना, एक आदर्श पुरुष की मिसाल देना, अधर्म का नाश कर धर्म की स्थापना करना। एक प्रतापी राजा थे, जिनका प्रताप दशो दिशाओं में व्याप्त था। धार्मिक विचारों के, लोगों का भला करने वाले सब चीजों से पूर्ण थे। बस एक ही कमी थी।

    ये थे राजा दशरथ.. इनकी तीन रानियां थीं। लेकिन तीनों में से किसी को भी संतान नहीं हुई थी। राजा दशरथ ने ऋषि मुनियों से पूछा तो उन्होंने पुत्रोष्ठी यज्ञ कराने की सलाह दी।यज्ञ संपन्न होने पर यज्ञ से अग्नि देवता एक कटोरी में खीर लेकर प्रकट हुए,और बोले अपनी रानी को खिला दें।

   राजा दशरथ कटोरी भरी खीर अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को दिये। कौशल्या ने आधा खीर केकैई को दिया और केकैई ने अपने हिस्से का आधा खीर सुमित्रा को दे दिया।तब चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या के गर्भ से भगवान राम का जन्म हुआ।केकैयी से भरत और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।

    रामनवमी के दिन पताका फहराना

    हमलोग के यहां रामनवमी के दिन घर या मंदिर में पताका फहराई जाती है। पताका में जय श्री राम लिखा रहता है। ये पताका जिस घर में रहता है भगवान उस घर पर हमेशा कृपा करते हैं। उस दिन पंडित जी घर आते हैं, भगवान राम की पूजा करते हैं।
  
‌    फिर एक बांस पर लाल चंदन और पिसा हुआ चावल के आटे से सजाया जाता है। उस बांस पर मुंज की रस्सी में आम के पत्तों को पिरोकर लपेट जाता है। सबसे ऊपर राम नाम का पताका बांध दिया जाता है। उसके बाद उसको घर के आंगन में गाड़ देते हैं।

    पंडित जी पूजा हवन कर कन्या को भोजन करा खुद भोजन ग्रहन कर पूजा समाप्त होती है। जय श्री राम। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आया तो कमेंट बॉक्स में एक बार जय श्री राम का नारा जरुर लगाएं।












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