चैत्र नवरात्रि शुरू है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी का जन्म कात्याय ऋषि के घर हुआ था, इसलिए इनको कात्यानी कहा जाता है। इनकी चार भुजाएं हैं,इनका वाहन सिंह है।
माता का रूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। यह सोने के जैसे चमकीली हैं। दाहिना हाथ ऊपर की ओर अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में हैं। बायीं ओर का ऊपर वाला हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। कहा जाता है कि कुंवारी लड़कियां अगर मां कात्यायनी की पूजा करती है तो उनकी शादी का जल्दी योग बनता है।
मां कात्यायनी की पूजा से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां कात्यायनी का एक भव्य मंदिर छतरपुर दिल्ली में है। माता के पूजा में शहद जरुर चढ़ाना चाहिए। माता का मंत्र-
चंद्रहासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वासना।
कात्यायनी शुंभं द़़द्या देवी दानव घातिनी।।
माता का रूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। यह सोने के जैसे चमकीली हैं। दाहिना हाथ ऊपर की ओर अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में हैं। बायीं ओर का ऊपर वाला हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। कहा जाता है कि कुंवारी लड़कियां अगर मां कात्यायनी की पूजा करती है तो उनकी शादी का जल्दी योग बनता है।
मां कात्यायनी की पूजा से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां कात्यायनी का एक भव्य मंदिर छतरपुर दिल्ली में है। माता के पूजा में शहद जरुर चढ़ाना चाहिए। माता का मंत्र-
चंद्रहासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वासना।
कात्यायनी शुंभं द़़द्या देवी दानव घातिनी।।
माता की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार माता कात्यायनी महर्षि कात्यायन के आश्रम में उत्पन्न हुए। महर्षि कात्यायन ने ही माता का पालन पोषण किया। महिषासुर नाम का राक्षस जब पुरी पृथ्वी पर अपना आतंक फैला रखा था, तब भगवान विष्णु, महेश और ब्रह्मा ने अपना अपना अंश देकर देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने देवी की कठिन तपस्या, पूजा की इसी कारण यह देवी कात्यायनी कहलाती है।
महर्षि कात्यायन की इच्छा थी कि माता उनके घर जन्म लें। माता ने उनकी यह इच्छा पूरी की।अश्वीन कृष्ण चतुर्दशी को उनका जन्म हुआ। कात्यायन ऋषि ने सप्तमी,अष्टमीऔर नवमी को इनकी पूजा की और दशमी को महिषासुर का वध किया।
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