अनंत चतुर्दशी का पूजन विधि और महत्व

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चौदस को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह 23 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के इसी अनंत स्वरूप को प्रसन्न करने और अनंत फल पाने की इच्छा से व्रत रखा जाता है। इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। इस दिन लोग घरों में सत्यनारायण की कथा भी करवाते हैं। हिन्‍दू धर्म में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्‍व है. यह भगवान विष्‍णु की अनंत रूप में उपासना का दिन है। इस दिन भगवान विष्‍णु की उपासना के बाद अनंत सूत्र बांधा जाता है। यह सूत्र रेशम या सूत का होता है।इस सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं. मान्‍यता है कि भगवान ने 14 लोक बनाए जिनमें सत्‍य, तप, जन, मह, स्‍वर्ग, भुव:, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल शामिल हैं। कहा जाता है कि अपने बनाए इन लोकों की रक्षा करने के लिए श्री हरि विष्‍णु ने अलग-अलग 14 अवतार लिए। ‌। इस दिन महिलाएं सौभाग्य की रक्षा एवं सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए व्रत एवं उपवास करती है। अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत एवं उपवास का संकल्प करते हुए भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। भगवान विष्णु के समक्ष 14 ग्रंथी युक्त अनंत सूत्र यानी कि 14 गांठ वाला धागा रख कर श्री हरि के साथ उसकी भी पूजा करनी चाहिए। पूजन में रोली, मालि, चंदन, अगर, धूप, दीप आैर नैवेद्य का होना अनिवार्य है। इनको को समर्पित करते समय ॐ अनंताय नमः मंत्र का निरंतर जाप करें । भगवान विष्णु की प्रार्थना करके उनकी कथा का श्रवण करें। तत्पश्चात अनंत रक्षासूत्र को पुरुष बाएं हाथ और महिला बाएं हाथ में बांधें। बांधते समय अनंत देवता का ध्यान करते रहना चाहिए और अनंत-अनंत कहते रहना चाहिए। अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराये आैर यथोचित दान करें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। अनंत चतुर्दशी को नमक रहित भोजन करना चाहिए।

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2 Comments

  1. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।

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