मकर संक्रांति 2025 कब है, 14 या 15 जानें

   मकर संक्रांति मतलब हमारे बिहार में दही-चुरा, तिलकुट और तिलवा होता है, ऐसे बहुत जगह पोंगल, लोहड़ी आदि रूप है इसके, इसको मनाने के पीछे मुख्य कारण है इस समय खेत से आई नया फसल.... ये सब पर्व हम धान के कटने और गेहूं के बाली के आने की खुशी में मनाते हैं। बस हर जगह पर इसके नियम अलग अलग है। 

    पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन दिन सुर्य अपने पुत्र शनि के घर आते हैं इसलिए ये त्यौहार मनाया जाता है। इस पोस्ट में हम मकर संक्रांति पर्व क्यों मनाते हैं, इससे जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे और जैसा कि बिहार, झारखंड में इस दिन दही चुरा खाने का‌ विशेष चलन है इसलिए दही जमाने की रेसिपी भी बताएंगे।






      मकर संक्रांति 2025 कब है, 14 या 15 जानें....

    मकर संक्रांति साल 2025 में 14 जनवरी 2025 बुधवार को है। इस दिन सुबह 09.03 पर सुर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे और सुर्य उत्तरायण होते हैं। इस दिन दान पुण्य का बहुत महत्व है, गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस बार तो कुंभ मेला भी लग रहा है। प्रयागराज में शाही स्नान 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा।
प्रयागराज में कुंभ स्नान जिसमें लाखों करोड़ों लोग आ रहे हैं। 

     मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त - 14 जनवरी सुबह 09.03 से शाम 5.46 तक रहेगा। पूजा का अभिजीत मुहूर्त 09.03 से 10.48 है। इस समय आप भगवान को तिल, गुड़ का भोग लगाएं, दान करें। इस दिन को खिचड़ी भी कहा जाता है इसलिए इस दिन चावल, दाल, तिल दान करना चाहिए। ऊनी वस्त्र दान करें।

    मकर संक्रांति को खिचड़ी क्यों कहा जाता है....

    मकर संक्रांति को बहुत जगहों पर खिचड़ी भी कहा जाता है, लेकिन खिचड़ी नाम पड़ने के पीछे एक कहानी भी है। एक कहानी के अनुसार - खिलजी वंश ने जब भारत पर आक्रमण किया तो हमारे योद्धा और साधू सभी उस लड़ाई में शामिल थे। गोरखनाथ बाबा के सभी अनुयाई और योद्धा सब लगातार युद्ध लड़ रहे थे इनकी संख्या कम थी तो लगातार लड़ना होता था खाना बनाने का समय नहीं मिलता। लगातार लड़ते रहना खाना ना मिलना सब योद्धा कमजोर होने लगे तब बाबा गोरखनाथ ने एक उपाय निकाला जिसमें चावल, दाल‌ और सभी तरह की सब्जियां सब एक बार एक साथ बनाएं जिससे ताकत भी मिले और समय भी कम लगें।‌ सभी ने बड़े चाव से खाया भी .... जिस दिन ये बना उस दिन मकर संक्रांति भी थी तब से इसका नाम खिचड़ी पड़ गया और लोग इस दिन खिचड़ी बना कर खाने भी लगे....

    मकर संक्रांति से जुड़ी कुछ खास बातें....

   * मकर संक्रांति को देवताओं का दिन भी कहा जाता है। जब सुर्य उत्तरायण रहते तो उसे देवताओं का दिन कहते और जब दक्षिणायन रहते तो उसे देवताओं का रात कहते हैं।
 
   * मकर संक्रांति के बाद ही शुभ कार्य शुरू होते हैं ना तब उससे पहले खरमास के कारण सारे शुभ कार्य खत्म नहीं होते हैं। 

   * महाभारत में वर्णित है कि भीष्म पितामह मृत्यु शैय्या पर 58 दिन रहे क्योंकि वो सुर्य के उत्तरायण होने का इंतजार कर रहे थे। क्योंकि इस समय मृत्यु से मुक्ति मिलती है।

   * मकर संक्रांति को ही मां गंगा, सागर में मिली थी। इसलिए इस दिन गंगा सागर में खुब भीड़ लगता लोग कपिल मुनि आश्रम जाते हैं। इस दिन आप पुर्वजों का तर्पण भी किया जाता है।

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