अभी साल 2025 में दुनिया का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ मेला प्रयागराज में लगा था, जिसमें दुनिया भर से लाखों करोड़ों लोग श्रद्धा भाव से आए और संगम स्नान कर गए। मैं भी अपने दोस्तों और परिजनों के साथ गयी थी इसकी कहानी भी बहुत मनोरंजक है शेयर करुंगी। अभी साल 2026 में फिर माघ मास में प्रयागराज में मेला लग रहा है जिसमें कुंभ जैसा पुण्य फल प्राप्त होगा। आप सब भी शामिल अवश्य होइए व्यवस्था सरकार की बहुत अच्छी है।
माघ मेला का विशेष महत्व है हमारे हिन्दू धर्म में, जैसे कार्तिक मास में लोग गंगा किनारे एक माह रह कर मास करते रोज वहीं स्नान करते वैसे ही माघ मेला लगता। प्रयागराज के माघ मेला में संत महात्मा, नागा साधु आदि सब आते हैं जैसे कुंभ मेला में आते हैं। " कहा जाता है माघ मास में ही सृष्टि की रचना हुई थी इसलिए इसके स्नान का विशेष महत्व है"। भारत के लगभग क्षेत्र जहां गंगा नदी या नदी है उसमें लोग माघ में स्नान करने जाते हैं, कल्पवास करते हैं पुरे माह, हरिद्वार, प्रयागराज आदि जगहों पर मेला लगता है।
प्रयागराज - माघ मेला 2026 में भी कुंभ जैसा पुण्य फल मिलेगा
प्रयागराज में माघ मेला 3 जनवरी पौष पूर्णिमा से शुरू हो 15 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलेगा। माघ मेला की कुछ महत्वपूर्ण तिथियां है जिसमें शाही स्नान होगा, इसमें संत महात्मा आदि स्नान करेंगे...
3 जनवरी 2026 - पौष पूर्णिमा - शनिवार
15 जनवरी 2026 - मकर संक्रांति - गुरुवार
18 जनवरी 2026 - मौनी अमावस्या - रविवार
23 जनवरी 2026 - बसंत पंचमी/ सरस्वती पूजा - शुक्रवार
1 फ़रवरी 2026 - माघ पूर्णिमा - रविवार
15 फरवरी 2026 - महाशिवरात्रि - रविवार
माघ मास में सूर्य भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है, यहीं स्नान कर भगवान को जल देते हैं।माघ मास का महत्व पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि जितना पुण्य सौ साल तक भूखे रहने से मिलता है उतना एक माघ मास में स्नान करने से मिलता है। माघ मास में देवता भी कल्पवास के लिए धरती पर आते हैं, कल्पवास एक रात, तीन रात, छह रात या एक माह, तीन माह, छह माह या 12 वर्ष या जीवन भर के लिए हो सकता है।
कल्पवास का अर्थ ही हुआ कल्प यानि युग या अवधि और वास मतलब निवास, जहां युगों के लिए वास हो कल्पवास। लेकिन हम अपने गृहस्थ जीवन में ये नहीं कर सकते इसलिए कुछ समय के लिए इन क्षेत्रों में वास कर गंगा स्नान किया जाए तो पुण्य मिलता है।
ये कुछ तस्वीरें महाकुंभ की हैं जो मैंने खुद ली थी...
माघ मेला के कल्पवास एक महीने कठिन तपस्या जैसे होती है इसमें पुरे महीने सात्विक भोजन, ब्रह्मचर्य पालन, ध्यान, उपवास और सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान की पूजा, भजन कीर्तन, जप आदि करने होते हैं। यहां लोगों की भक्ति में रूकावटें ना आएं इसके लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और कथा , प्रवचन होते रहता है। सरकार इन सब के लिए व्यापक रूप से व्यवस्था रखी है। ठंड है तो हर जगह पुलाउ, लकड़ी आग जलाने के लिए, पैसे और मुफ्त दोनों तरह के रहने खाने का व्यवस्था भी है।मेला को लेकर बहुत तैयारी हो रही टेंट हाउस, अस्पताल, अलाउ, हर जगह पीने का पानी, पुलिस प्रशासन हर जगह मुस्तैद रहेगी।
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