आषाढ़ मास कब से शुरू हो रहा और इसका महत्व जानें

     आषाढ़ मास आज से शुरू हो गया है इस मास का धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। इस मास में माता की पूजा जो गुप्त नवरात्रि के लिए जाना जाता है और भगवान विष्णु इसी मास से 4 महीने के लिए सोने क्षीर सागर में चले जाते हैं... देवशयनी एकादशी इसी महीने में होता है। इसलिए आषाढ़ मास में भगवान विष्णु और माता की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इसी महीने में रथयात्रा भी होती हैं, आज से आषाढ़ मास शुरू हो गया है आइए विस्तार से इस मास के बारे में जानें.....


       आषाढ़ मास कब से शुरू हो रहा है .....

     आषाढ़ मास 15 जून बुधवार से शुरू हो रहा है और 13 जुलाई को समाप्त हो रहा है। 24 जून को योगिनी एकादशी, 30 जून से गुप्त नवरात्रि प्रारम्भ, 01 जुलाई से जगन्नाथ रथयात्रा, 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी, चातुर्मास प्रारंभ, 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा के साथ ये मास समाप्त...

       आषाढ़ व्रत कथा.....

    पौराणिक कथा के अनुसार आषाढ़ मास में गणेश संकटनाशन चतुर्थी का बहुत महत्व दिया गया है। एक कथा के अनुसार एक राजा थे रंतिदेव, उनके राज्य में एक ब्राह्मण था जिसने दो शादी की थी। एक पत्नी का नाम सुशीला था और दुसरी का नाम चंचला। सुशीला पुजा पाठ करने वाली धर्मपारायण महिला था जबकि चंचला उसके ठीक उलट थी। कुछ दिन बाद दोनों गर्भवती हुई तो सुशीला को पुत्री और चंचला को पुत्र प्राप्त हुआ।

     चंचला को इस बात का घमंड हो गया और पुरा दिन वो सुशीला को सुनाते रहती इतना पूजा पाठ का क्या मतलब जब पुत्री ही पैदा हुई। सुशीला इस बात से बहुत दुःखी हुई और फिर गणेश संकटनाशन चतुर्थी व्रत करने लगी। उसकी पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणेश उसको दर्शन दिए और वर दिए कि उसकी पुत्री के मुंह से रत्न गिरेंगे और उसको वेदों को जानने वाला बेटा पैदा होगा।

       कुछ दिन बाद ब्राह्मण जब मर गए तो चंचला सारा संपत्ति लें अलग रहने लगी। सुशीला की पुत्री के मुंह से रत्न गिरने के कारण धन संपत्ति बढ़ा। वेदों को जानने वाला पुत्र भी बड़ा हुआ वो खुश रहने लगी लेकिन चंचला को ये बात रास नहीं आई वो जलन और ईर्ष्या के कारण सुशीला के बेटी को कुंए में धकेल दी तब गणेशजी आए और उसकी रक्षा की। चंचला को अपने किए का पछतावा हुआ और सुशीला से जाकर माफी मांगी और उसने भी संकटनाशन गणेश चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। फिर भगवान कृपा से सब खुश रहने लगे। आषाढ़ मास में चतुर्थी को चांद का दर्शन शुभ माना जाता है, इस दिन व्रत रखने से सारे कष्ट दूर होते हैं।

     आषाढ़ मास में गुप्त नवरात्रि किया जाता है। जो 30 जून से आरंभ होगा। गुप्त नवरात्रि में कुछ खास मंत्र पूजन से सिद्धि प्राप्ति होती है। तांत्रिक क्रिया या शक्ति साधना के लिए यह विशेष रूप से मनाया जाता है।

       आषाढ़ मास की एकादशी मोक्ष प्रदान करने वाली और समस्त पाप नाश करने वाली होती है। शुक्ल पक्ष एकादशी के बाद भगवान 4 महीने के लिए क्षीर सागर शयन करने चले जाते हैं इस 4 मास सारे शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है, इस दिन अपने गुरु के दर्शन और पूजन अवश्य करना चाहिए।

Post a Comment

0 Comments