भोपाल गैस काण्ड का आज 34 साल हो गया। लेकिन दर्द अभी भी ताजा ही है। आज का वो मनहूस दिन है 3 दिसंबर 1984 जब 15000 से अधिक लोगों की जान गई और ना जानें कितने लोग शारीरिक अपंंगता, अंधेपन का शिकार हो गए। इसका मुख्य कारण भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने में मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस का रिसाव है। इसका उपयोग कीटनाशक दवा बनाने में किया जाता है।
यह त्रासदी भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है। इसमें लगभग 5 लाख लोग प्रभावित हुए। अभी तक इसका असर पुरी तरह खत्म नहीं हुआ है।इसका असर प्रजनन क्षमता पर भी पड़ा। आज भी मानसिक विकलांग बच्चे पैदा होते हैं।
ये सब बस कंपनी की गलतियों का नतीजा था। इस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को उस समय के कलक्टर मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी बड़े नेता अधिकारी के इशारे पर बाहर निकाल दिया गया।जिसको मरे भी अब चार साल हो चुके हैं।
कई परिवारों के आंगन में हादसे के बाद कभी किलकारी नहीं ंं गुंजी। गैस हासदे के बाद जन्मी तीसरी पीढ़ी भी बीमार और आशक्त पैदा हो रही है। एक महिला चार बार गर्भवती हुई चारों बार उसका गर्भपात हो गया।
यह त्रासदी भारत ही नहीं बल्कि पुरे विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी में से एक है। इसमें लगभग 5 लाख लोग प्रभावित हुए। अभी तक इसका असर पुरी तरह खत्म नहीं हुआ है।इसका असर प्रजनन क्षमता पर भी पड़ा। आज भी मानसिक विकलांग बच्चे पैदा होते हैं।
ये सब बस कंपनी की गलतियों का नतीजा था। इस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को उस समय के कलक्टर मोती सिंह और पुलिस अधीक्षक स्वराज पुरी बड़े नेता अधिकारी के इशारे पर बाहर निकाल दिया गया।जिसको मरे भी अब चार साल हो चुके हैं।
कई परिवारों के आंगन में हादसे के बाद कभी किलकारी नहीं ंं गुंजी। गैस हासदे के बाद जन्मी तीसरी पीढ़ी भी बीमार और आशक्त पैदा हो रही है। एक महिला चार बार गर्भवती हुई चारों बार उसका गर्भपात हो गया।
34 साल बाद भी गैस से प्रभावित लोगों के समुचित इलाज, प्रर्याप्त मुआवजे,न्याय एवं पर्यावरण की क्षतिपूर्ति के लिए लड़ाई जारी है।
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