माला जाप करते समय अपनाएं ये नियम और सावधानी बरतें

  माला जाप का बहुत महत्व है, लगभग हर धर्म में माला जाप करते हैं उनके मंत्र अलग होते हैं लेकिन कारण सबका एक ही होता है - भगवान को याद करना, इबादत करना। हिंदू धर्म में तुलसी, रुद्राक्ष, स्फटिक आदि की माला जाप करते हैं। मुस्लिम में मिस्बाह या तस्बीह कहा जाता माला जाप को, उसमें 100 मनके(दाने) होते हैं। मुस्लिम लोग लकड़ी, मुंगे और मोती, पत्थर, शीशा के बने मनके की माला पर जाप करते। बौद्ध के माला जाप को थेंगवा कहते हैं। ये पीपल के पेड़ की माला होती है जिसमें 112 दाने होती है। जापान, तिब्बत में ये पेड़ कम मिलते तो वहां बेर और रुद्राक्ष की माला पर जाप करते।


   

       जैनियों की जप माला में 111 मनके होते हैं। ईसाई में भी माला जाप होता है जो 100 या 150 दाने वाले होते हैं। सब धर्मों को भगवान, अल्लाह, गुरु, ईशा की प्रार्थना करने का अलग अलग तरीका है।‌‌लेकिन सबसे शीघ्र प्रभाव के लिए माला जाप करते हैं। यह मन को एकाग्र कर, भगवान पर ध्यान रखने में मदद करता है। हिंदू धर्म में लगभग हर घर में तुलसी माला रहता जहां हर रोज माला जाप किया जाता है। 


      माला जाप करते समय अपनाएं ये नियम....


     * माला में मोती की संख्या 28 या 108 होनी चाहिए और हर मोती के बाद एक गांठ अवश्य हो।

     * माला जाप करते समय किसी कपड़े से ढका हो या फिर गोमुखी बैग आता है उसमें रख जाप करें। 

      * जिस माला से जप करते हैं उसे पहने नहीं। और माला जाप कर उसे कील या कांटी में कहीं टांगना नहीं चाहिए। उसी गोमुखी बैग या कपड़े से लपेट रखा दें।

      * माला जाप के बाद अंगुठा और अनामिका या मध्यमा अंगुली का उपयोग करें। कभी भी तर्जनी उंगली से माला का स्पर्श नहीं करना चाहिए और‌ सुमेरु से दूर ही रखें।

     * अलग अलग देवी देवताओं के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं और अलग अलग मंत्र के लिए अलग अलग माला रखना चाहिए। जैसे भगवान शिव के मंत्रों की जाप रुद्राक्ष से करें।

      * मां लक्ष्मी, माता सरस्वती के लिए स्फटिक की माला, मां काली और माता दुर्गा के लिए चंदन की माला, भगवान विष्णु, भगवान राम, भगवान कृष्ण जी इन सब के लिए तुलसी की माला से जप करें।

     * जप के लिए मंत्र अपने गुरु से दीक्षा लेने पर या अराध्य देव की कोई एक मंत्र का जाप करें। गुरु मंत्र किसी को नहीं बताना चाहिए।

      * जाप धीरे से करें..बस होंठ हिले आवाज बिल्कुल नहीं होना चाहिए। एक आसन‌ पर बैठ बिना हिले डुले ‌‌‌‌‌जाप करें। 

      * कुछ लोग जप करते समय समय बात करने लगते, ध्यान इधर उधर देने लगते हैं ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए। जप करते समय ध्यान एकाग्र हो, बिस्तर पर ही जाप करना है तो विस्तर साफ हो, शुद्ध हो।

     * हर मंत्र का अपना प्रभाव होता है, इस लिए सुबह पुजा करते समय, संध्या पूजन के समय और दोपहर में भी हाथ पैर धो अच्छे से तब जाप करें। ना तब उल्टा प्रभाव भी पड़ता है।

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