दिवाली पर्व हिन्दू धर्म का मुख्य पर्व है। यह पुरे भारत में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। दिवाली धनतेरस से शुरू हो भाई दूज पर समाप्त होता है। दिवाली बस दीये जलाने और पटाखे छोड़ने का पर्व नहीं इसमें माता लक्ष्मी से धन ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए पूजा करने का भी पर्व है। माता लक्ष्मी की पूजा शुभ मुहूर्त में कर जी भर कर पटाखे छोड़ें। मैं तो हर साल बहुत पटाखे छोड़ती, भगवान की अराधना भी जरूरी है और मजे भी। आजकल बहुत ऐसे लोग मिलते जो मुफ्त का ज्ञान देते रहते पटाखे ना छोड़े, अब उनको क्या समझाना..
पहले ये जानिए दिवाली मनाते क्यों है- दिवाली के दिन ही भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पुरा कर और रावण का वध कर घर आए थे। जिस खुशी में पुरे अयोध्या नगरी को दीप से सजाया गया, धूम धड़ाके से उनका स्वागत किया गया तो हम उसी खुशी के इजहार में ये पर्व मनाते। इसलिए जिनको पटाखे छोड़ने से प्रदुषण लगे वो गाड़ी चलाना छोड़े, पाॅलीथीन का उपयोग छोड़े आदि प्रदुषण वाले चीज छोड़ दें तब ज्ञान दें...
दिवाली कब है और शुभ मुहूर्त....
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति कैसा लें...
* खड़ी हुई मां लक्ष्मी का मुर्ति नहीं लेना चाहिए, खड़ी हुई लक्ष्मी जी की मूर्ति जाने के लिए तैयार हुआ माना जाता है। गणेश जी का सूंड बाएं हाथ की तरफ मुड़ा हो।
* ऐसी मूर्ति ना लें जिसमें मां उल्लू पर विराजमान हो और ऐसे मूर्ति लें जिसमें गणेश जी का मूषक अवश्य हों।
* हर साल दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश जी का मूर्ति मिट्टी वाला जरूर लें। सोना-चांदी पीतल या धातु का लें कोई बात नहीं लेकिन मिट्टी का लें जिससे गरीब के घर भी दिवाली में पटाखे छुटे। पुरानी मूर्ति को गंगा में प्रवाह कर दें।
* मूर्ति हमेशा हंसते हुए चेहरे का लें, सामान्य चेहरे वाले मूर्ति से घर में हमेशा तंगी रहती है।
* माता लक्ष्मी की मूर्ति में ये ध्यान रखें कि उनकी मुट्ठी हमेशा खुली हो और धन बरसा कर रही हो। गणेश जी के हाथ में मोदक हों।
* मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति उत्तर दिशा में रखना चाहिए।
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