सावन मास कब से शुरू हो रहा है, इसका महत्व और इस माह में पड़ने वाले त्योहार जानें

       सावन मास साल के सबसे पावन महीनों में से‌ एक है। यह मास भगवान शिव को समर्पित है, इस मास में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। पुरे एक महीना हर शिवालय, ज्योतिर्लिंग और शिव मंदिर में बहुत भीड़ रहती है, अभी कोरोना के कारण तो कुछ मंदिर बंद रहेंगे लेकिन आम दिनों में पुरा शिव धाम बोल बम के नारों से गूंज रहा होता है।

द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा- बैद्यनाथ धाम देवघर

      सावन मास का हर दिन अच्छा है लेकिन कुछ दिन वो हो जो विशेष रूप से मनाया जाता है। जैसे सावन का सोमवार, एकादशी, त्रयोदशी, प्रदोष व्रत, राखी, अमावस्या, पूर्णिमा ये सब दिन भगवान शिव का विशेष पूजन किया जाता है। साल 2021 में 25 जूलाई से सावन मास शुरू हो रहा है। इस बार 4 सोमवार पड़ रहा है। सावन सोमवार में लोग पुरा दिन फलाहार पर रहते हैं, भगवान शिव की पूजा करते हैं। आइए सावन मास के बारे में विस्तार से जानते हैं.....

द्वादश ज्योतिर्लिंग के बारे में

       सावन मास कब से शुरू हो रहा है....


     सावन मास 25 जूलाई रविवार से शुरू हो रहा और 22 अगस्त को खत्म होगा। साल 2021 में 4 सोमवार पड़ रहा है। पहला सोमवार 26 जूलाई को पहला सोमवार, 2 अगस्त को दुसरा, 9 अगस्त को तीसरा फिर अंतिम सोमवार 16 अगस्त को पड़ रहा है।

        सावन मास में पड़ने वाले त्योहार....

       26 ñ. Sa aur firजूलाई - पहला सोमवार
       27 जुलाई - संकट चतुर्थी, मंगला गौरी व्रत
       28 जुलाई - नागपंचमी ( बिहार के कुछ जगहों पर)
       30 जुलाई - शीतला सप्तमी
         31 जुलाई - कालाष्टमी भगवान भैरल बाबा के लिए
         02 अगस्त - दुसरा सोमवार
        04 अगस्त - कामिका एकादशी
        05 अगस्त - प्रदोष व्रत
        06 अगस्त - शिवरात्रि व्रत
         09 अगस्त - तीसरा सोमवार
         11 अगस्त - हरियाली तीज
         13 अगस्त - नागपंचमी
          15 अगस्त - स्वतंत्रता दिवस
          16 अगस्त - सावन मास का अंतिम सोमवार
          18 अगस्त - पुत्रदा एकादशी व्रत
          20 अगस्त - प्रदोष व्रत
          21 अगस्त - ओणम पर्व
           22 अगस्त - सावन पूर्णिमा, रक्षाबंधन

       सावन मास का महत्व.....
  
     सावन मास भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना है। कहां जाता है कि भगवान शिव सावन के महीने में ही पहली बार धरती पर अवतरित हो ससुराल गये थे जहां उनके स्वागत के लिए जलाभिषेक और अर्ध्य दिया गया। अभी तक माना जाता है कि सावन मास में भगवान शिव धरती पर ही रहते हैं। सावन मास में भगवान शिव को जल और बेलपत्र से पूजा करना विशेष फलदाई होता है। शारीरिक, आर्थिक, वैवाहिक, सामाजिक कोई भी परेशानी हो पुरे सावन मास कम से कम एक लोटा जल अवश्य भगवान शिव को अर्पित करें।‌। सारे दुख दूर रहेंगे....  


       बहुत से लोग सावन मास में कांवर यात्रा करते हैं। कहा जाता है कांवर यात्रा की शुरुआत भगवान राम ने की थी। कांवर में गंगा जल भर के भगवान शिव को अर्पित करते हैं। ऊपर पोस्ट में द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा का वर्णन है। आप पढ़ें शेयर करे और बताएं कि कैसा लगा आपको। जय शिव...बोल बम.....

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