द्वादश 12 ज्योतिर्लिंग यात्रा / मल्लिकार्जुन के बारे में जानें

       आज हम आपको मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के बारे में बता रहे हैं। इसमें आपको मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग पहुंचने का रास्ता, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महत्व , निर्माण सारा कुछ जानेंगे।

  

    मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग कैसे जाएं.. 


      द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैलम में है। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है।इस मंदिर में मल्लिकार्जुन भगवान शिव और भ्रमाराम्बा देवी विराजमान हैं।लोगों की मान्यता है कि इस पर्वत के शिखर के दर्शन मात्र से सारे पाप खत्म हो जाती इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। श्रीशैलम सड़क के रास्ते से जुड़ा है। हवाई जहाज से जाना है तो हैदराबाद का राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट 137 किलोमीटर दूर है जहां के लिए बस सेवा उपलब्ध है। विजयवाड़ा, अनंतपुर, महबूबनगर और तिरुपति से भी बस मिल जाता है।श्रीशैलम के सबसे नजदीक मर्कापुर रेलवे स्टेशन जो 62 किलोमीटर दूर है।


    मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा

  

        पौराणिक कथा के अनुसार शिवपुराण में वर्णित है कि एक बार माता पार्वती और भगवान शिव के मन में अपने दोनों पुत्र भगवान गणेश और कार्तिकेय की शादी का विचार आया। भगवान गणेश और कार्तिकेय पहले मेरी शादी,पहले मेरी शादी की बात पर जिद करने लगे।तब माता पार्वती और शिव ने एक उपाय निकाला,बोले जो सबसे पहले पृथ्वी की पुरी परिक्रमा कर के आ जायेगा उसकी शादी पहले की जायेगी।


       कार्तिकेय ये बात सुनते ही पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल गये। भगवान गणेश अपने छोटे सी सवारी मूषक को लेकर चिंतित थे।इसको लेकर कैसे पृथ्वी की परिक्रमा कर सकते।तब उन्होंने माता - पिता को संपुर्ण सृष्टि मानकर उनकी परिक्रमा कर शर्त जीत गए।और उनकी शादी पहले हो गई।जब तक कार्तीकेय जी परिक्रमा कर के आए,भगवान गणेश की शादी रिद्धि-सिद्धि से हो चुकी थी। कार्तिकेय जी अत्यंत क्रोध से 12 कोस दूर क्रोंच पर्वत पर चले गए। माता पार्वती और शिव के मनाने पर भी नहीं आए। 


      कार्तिकेय के ऐसे रूठ कर चले जाने से मां पार्वती को बहुत दु:ख हुआ।तब भगवान शिव पार्वती जी के खुशी के लिए अपना एक अंश लेकर मां पार्वती के साथ क्रौंच पर्वत पर चले गए। वहीं मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रुप में स्थापित हुए। कहा जाता है आज भी भगवान शिव और माता पार्वती कार्तिकेय से मिलने वहां आते हैं।


       आरती का समय-

     


        मंदिर में सुबह 4.30 बजे मंगलाचरण के साथ पट खुलता है।6.30 तक आरती होती है। फिर 1 बजे पट थोड़ी समय के लिए बंद हो जाता है। भगवान को फिर सुंदर कपड़े में सजाया जाता है,5 बजे तक दर्शन होता है।फिर 5.20 से 6 बजे तक संध्या आरती होती है।


       मल्लिकार्जुन के आसपास घुमने की जगह -




      मल्लिकार्जुन मंदिर के पास मां पार्वती का मंदिर है। यहां मां पार्वती मल्लिका देवी नाम से स्थापित है। कृष्णा नदी के समीप ही कृष्णा नदी बहती है जिसे पाताल गंगा कहा जाता है।पाताल गंगा जानें के लिए मंदिर के कुछ दूरी पर 850 सीढ़ियां उतरनी पड़ती है। पाताल गंगा में स्नान कर मंदिर जाने का महत्व है। मल्लिकार्जुन मंदिर से 10 किलोमीटर दूर है शिखरेश्वर मंदिर। यहां जाने का रास्ता थोड़ा कठिन है। मल्लिकार्जुन मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर भ्रमराम्बा देवी का मंदिर है। इसे शक्ति पीठ माना जाता है।


शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेला लगता है।इस समय में यहां आना भी अच्छा रहता है।गर्मी दिनों में तो यहां का मौसम बहुत गर्म हो जाता है तो परेशानी हो सकती है।एक बार जरूर आएं बाबा दरबार में।जय महादेव..

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