51 शक्ति पीठों में 4 शक्ति पीठ बांग्लादेश में हैं। बांटवारा होने के बाद भारत से जब बांग्लादेश अलग हुआ तो ये 4 शक्ति पीठ बांग्लादेश चले गए। शक्ति पीठ के दर्शन मात्र से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। नवरात्रि के समय यहां काफी भीड़ रहती है। आइए बांग्लादेश स्थित चारों शक्ति पीठ के बारे में जानें....
माता के 51 शक्तिपीठ कहां कहां स्थित है
बांग्लादेश में स्थित शक्तिपीठ के बारे में.....
सुगंध शक्तिपीठ...
यह बांग्लादेश के खुलना में सुगंध नदी के तट पर उग्रतारा देवी का शक्ति पीठ स्थित है। यह शिकारपुर में बरिसल से 20 किलोमीटर दूर है। यहां माता का नाक गिरा था। यहां देवी सुनंदा और शिव त्रयंबक के नाम से जाने जाते हैं। यहां पहले स्टीमर से बरिसल फिर सड़क से चल कर शिकारपुर जाते हैं। बीजा मिलने के बाद आप दर्शन कर सकते हैं।
करतोयघाट शक्तिपीठ.....
यह शक्ति पीठ बांग्लादेश के भवानीपुर के बेगडा़ में करतोया नदी पर है। यहां माता सती का बायां तल्प गिरा था। कहा जाता है कि सदानीरा-करतोया नदी का उद्गम शिव-सती के पाणिग्रहण के समय हाथ में डालें जल से हुआ था।इसे लांघना नहीं चाहिए। यहां माता अपर्णा और भगवान शिव वामन भैरव के रूप में रहते हैं।
यशोर शक्तिपीठ...
यहां माता सती के बायें हाथ की हथेली गिरी थी। यह बांग्लादेश के खुलना जिले के जैसोर शहर में स्थित है। यहां माता को यशोरेश्वरी और भगवान शिव को चंद्र कहा जाता है। इसकी खोज महाराजा प्रतापादित्य ने की थी। वे यहां काली माता की पूजा करते थे।
इस मंदिर का निर्माण एक ब्राह्मण ने शुरू करवाया था, जिसमें 100 दरवाजे थे लेकिन अभी तो बस एक छोटा सा मंदिर रह गया है। मोदी जी ने तो बांग्लादेश दौरे पर गए तो इस मंदिर का भी दर्शन करने गए थे। काली पूजा के दिन यहां काफी भीड़ जुटती है।
चट्टल शक्तिपीठ-
यहां माता सती का दाहिना बांह गिरा था। यह बांग्लादेश में चटगांव से 38 किलोमीटर दूर सीताकुंड स्टेशन के पास है। एक चंद्रशेखर पर्वत पर भवानी मंदिर है,वहीं शक्ति पीठ हैं। यहां माता भवानी और भगवान शिव चंद्रशेखर नाम से जाने जाते हैं।
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