द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा- द्वादश ज्योतिर्लिंग के बारे में

      कोरोना के कारण जीवन काफी अस्त व्यस्त हो‌ गया, आज जिस मंदिर में पैर रखने की जगह नहीं होती थी वहां सन्नाटा पसरा हुआ है। हमारे बाबा बैद्यनाथ के दर्शन हुए भी बहुत दिन हो गया। घर पर बैठे बैठे भी हम लोग बोर हो गए, बच्चे बड़े सब परेशान मन करता जैसे लाॅक डाॅउन खुले हम निकल जाए कहीं दूर, जहां कुछ मन शांत हो, पुरे कोरोना काल कुछ अपने जो साथ छोड़ दिए, कुछ सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक परेशानी तो हम लोग ने अवश्य झेला अब सब बाबा ठीक कर दें। हम यह पोस्ट बस बाबा भोलेनाथ पर‌ लिख रहे। 

       सारे जग के कर्ता धर्ता भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से चर्चा करते है। ज्योतिर्लिंग क्या है, ज्योतिर्लिंग कितने हैं, द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र का अर्थ और सभी ज्योतिर्लिंग कहां स्थित है। यह 13 पार्ट में मैं लिखुंगी, आप सब हमसे जुड़ें रहे, पढ़ें, कमेंट करें और शेयर करें। जय महादेव...बम बम भोले....


       ज्योतिर्लिंग क्या है और इसकी उत्पत्ति.....

    ज्योतिर्लिंग में दो शब्द आते हैं ज्योति और लिंग, ज्योति मतलब प्रकाश और लिंग का अर्थ शिव का प्रतीक, आत्मा, । मतलब भगवान शिव के ज्योति के रूप में प्रकट होना ज्योतिर्लिंग हुआ... ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की बहुत कहानी है शिवपुराण में कहा गया है कि एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में विवाद हुआ कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है कि तभी भगवान शिव एक अद्भुत ज्योति के रूप में प्रकट हुए जिसका ना शुरुआत था और ना ही अंत था, इसे ज्योतिर्लिंग कहा गया। 


       ज्योतिर्लिंग 12 हैं। इन सब ज्योतिर्लिंग में स्वयं भगवान शिव ने बनाया है ये माना जाता है।अब आप के मन में विचार आता है कि तो शिवलिंग क्या है तो शिवलिंग मानव द्वारा स्थापित है। हमारे यहां ऐसे भी शिवलिंग है जो अचानक पृथ्वी से प्रकट हो गए। कहा जाता है पृथ्वी पर 108 ज्योतिर्लिंग है लेकिन हमारे यहां 12 ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व और नाम है। इन 12 ज्योतिर्लिंग की स्थापना और उत्पत्ति आपको आगे अवश्य मिलेगी।


       द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्त्रोत और अर्थ....

    द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र पाठ जो व्यक्ति सुबह जग कर इस मंत्र का पाठ करें वह सब पापों से मुक्त हो जाता है। आइए मंत्र पढ़ें......  ऊं सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनं, उज्जयिन्यां महाकालं ओमकारं ममलेश्वरं। परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशंकरं, सेतुबंधे रामेशं नागेशं दारुकावने। वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमी तटे, हिमालये तु केदारं धृष्णेशं तु शिवालये। 

     अर्थात सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्री शैलम में मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, ओंकारेश्वर में ममलेश्वर। परली में वैद्यनाथ, डाकिनी क्षेत्र में भीमशंकर, सेतुबंध पर रामेश्वरं, दारूकावन में श्री नागेश्वर। वाराणसी में काशी विश्वनाथ, गोदावरी तट पर त्र्यंबकेश्वर, हिमालय में केदारनाथ और शिवालय में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग है।

    1.  सोमनाथ ज्योतिर्लिंग - यह गुजरात के काठियावाड़ में समुद्र किनारे स्थित है।
    2. मल्लिकार्जुन - यह आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिला में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है।
    3. महाकाल - यह मध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे है।
    4. ओंकारेश्वर - यह मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में मंधाता पर्वत पर स्थित है जो नर्मदा नदी के किनारे है।
    5. बाबा बैद्यनाथ - यह झारखंड स्थित देवघर में है। कुछ लोग कहते हैं कि परली महाराष्ट्र में स्थित है तो वो ग़लत है। द्वादश ज्योतिर्लिंग देवघर यहां जाने इस ज्योतिर्लिंग के बारे में। 
     6. केदारनाथ धाम- यह उत्तराखंड में मंदाकिनी नदी और अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है।
     7. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - यह पुणे से 100 किलोमीटर की दूरी पर लगभग स्थित है। सह्याद्री पहाड़ी पर‌ बना मंदिर है।
     8. श्री काशी विश्वनाथ - यह उत्तर प्रदेश के काशी में गंगा नदी के तट पर स्थित है। 
     9. त्र्यंबकेश्वर  ज्योतिर्लिंग - यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक गोदावरी नदी तट पर स्थित है। यहीं नासिक जहां कुंभ मेला भी लगता है।
    10. श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग- यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारकापुरी से 17 मील दूर है।
     11. श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - जब भगवान राम जी ने यहां पूजा की थी। यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरं में स्थित है।
     12. श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - यह महाराष्ट्र के दौलताबाद में स्थित है।

       एक बार हम पुरे परिवार के साथ घुमने सागर मध्य प्रदेश से निकले थे। 8 दिन में हमने 5 ज्योतिर्लिंग दर्शन कर लिए थे। जैसे सागर से निकले पहले सिरडी महाराष्ट्र पहुंचे, वहां से त्रयंबकेश्वर, भीमाशंकर और घृष्णेश्वर गए, अगर बगल भी बहुत जगह जैसे सिरडी साईं बाबा, गणेश मंदिर, एलोरा गुफाएं आदि फिर वहां से निकल कर ओंकारेश्वर और महाकाल दर्शन भी कर लिए। पुरा विस्तार से हम अगले पोस्ट में जानकारी देंगे। ये खुद की गाड़ी से हमने यात्रा की थी। 

     8 दिन में पुरा घुम लिए बस हम लोग कहीं रूके नहीं चलते रहे। परिवार में बुजुर्ग भी थे तो इससे ज्यादा समय नहीं दे पाए फिर बाद में भी गए तब अकेले अकेले हर जगह बारिकी से घुमे। लौट के फिर अपने घर बिहार आना था रास्ते में वाराणसी में ट्रेन बदलना था अगले दिन का टिकट लें काशी विश्वनाथ भी दर्शन कर लिए। अगर आप भी घुमने के प्लान में है तो ऐसे जा सकते।

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