होली 30 मार्च को है, इस कोरोना ने तो इस साल भी होली खराब ही कर दिया है। पिछला साल भी कोरोना के कारण मौज नहीं लेने दिया इस साल भी। लेकिन हम लोग तो वो है जो आपदा में भी अवसर ढुंढ लेते। होली में क्या करते थे दुसरे के घर जाते रंग देते, धमाल करते इस बार भी धमाल होगा बस थोड़ा अंदाज अलग होगा। हम लोग इस बार होली कुछ इस अंदाज़ में मनाते हैं होली ऐसे खेलें अगर पसंद आए तो जरूर बताएं....
सबसे पहले हम होली में क्या करते थे सुबह-सुबह कीचड़ से सराबोर हो जाते थे हमारे गांव में तो ऐसा ही होता था शहर वालों का तो बस पानी फेंकते हैं 😀😀 तो उसको कहीं और जाकर नहीं घर के बस अपने सदस्यों के साथ खेलें। फिर रंग अबीर गुलाल एक दूसरे पर फेंकते थे.. तो इस बार मोबाइल से रंग और प्यार से सराबोर मैसेज उनको पुरा दिन भेजते रहे।😀😀। शाम में ढोलक की थाप पर पुरा गांव झुमता था..हम कुछ पसंदीदा गाना दे रहे आप वो बजाए और घर में झुमे खुब.. तब आइए पहले जानें होली के कुछ प्रमुख गीत जो बहुत लोगों को पसंद आएगा....
होली के गीत.....
* खेलें मसाने में होरी दिगंबर खेले मसाने में होरी, ना साजन ना गोरी दिगंबर खेले मसाने में होरी...
यह गाना पंडित छन्नूलाल मिश्र जी ने बाबा भोलेनाथ के लिए गाया है। एक बार ये गाना सुनिए फिर कहिए कमेंट किजीए कि गाना आपको कितना पसंद आया। इस गाना में उन्होंने कहा है कि लोग होली साल में एक बार खेलते हैं.. मेरे भोले नाथ तो हर रोज खेलते। वो भी रंग अबीर गुलाल से नहीं.. मणिकर्णिका घाट पर जो रोज इतनी लाशें जलती है उस भस्म से.. आपकी होली में साजन और गोरी का होती मेरे होली तो बस भूत पिशाच के संग होता। एक बार अवश्य सुनें...
* आज ना छोड़ेंगे बस हमजोली खेलेंगे हम होली.. अपनी अपनी किस्मत है ये कोई हंसे कोई रोए, रंग से कोई अंग भीगोये कोई अंसुवन से नैन भिगोए...
* जोगी जी धीरे धीरे, जोगी जी वाह.. नदी के तीरे तीरे, जोगी जी वाह जोगी जी..कोई ढुंढे मूंगा कोई ढुंढे मोतिया हम ढुंढे अपनी जोगनिया
* रंग बरसे भींगे चुनर वाली रंग बरसे.. फिल्म सिलसिला
* होली खेलें रघुवीरा अवध में होली खेलें रघुवीरा- बागवान
* अंग से अंग लगाना सजन हमें ऐसे रंग लगाना- डर
* बलम पिचकारी जो तुने मुझे मारी - ये जवानी है दीवानी
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