होलिका दहन कब‌ है? होलिका दहन में ये उपाय करें घर में सुख समृद्धि बनी रहेगी

       होली कब है? होली कब है? शोले फिल्म में गब्बर सिंह ने पूछा था लिए ये नहीं पुछा कि होलिका दहन कब है। क्योंकि ‌होलिका तो बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व‌ है तो भला वो क्युं पुछता 😀😀😀 ये तो बस एक जोक हुआ लेकिन सच्चाई कुछ और है जितना होली का महत्व है होलिका दहन का महत्व धर्म, पूजा, वास्तु, टोटके, राशि दोष आदि के लिए ज्यादा है। होली में हम किसी भगवान की पूजा नहीं करते इसमें तो अपनी खुशी, फीलिंग उजागर करते। होलिका दहन का महत्व अधिक है इस दिन अगर कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो आपके घर में हमेशा सुख समृद्धि बनी रहेगी।

       होलिका दहन कब है....

    होलिका दहन 28 मार्च रविवार को है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 6.37 शाम से 8.56 रात तक है। पुर्णिया रविवार 28 मार्च को 3.27 सुबह से ही शुरू हो जाएगा और 29 मार्च को 12.17 तक रहेगा। होलिका दहन को धुरखेल या छोटी होली भी कहते हैं।

Holi kab hai होली कब है

      ‌    होलिका दहन में करें ये उपाय घर में सुख समृद्धि बनी रहेगी....


       * अगर आपको शनि-राहु-केतु दोष है तो होलिका दहन करें, ये दर्शन करने जाएं। इस जलते होलिका दहन के बाद बचे राख से भस्म लगाएं।

      * धन की समस्या से दुखी हैं तो जहां होलिका दहन हो रही हो पति-पत्नी साथ हो उसमें अलसी, चना, गेहूं अवश्य डालें। पीपल वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाकर 5-7 फेरे लें।


     * घर में सुख समृद्धि बनी रहे इसके लिए एक सुखा नारियल, एक लौंग, पान का पत्ता, बताशा से होलिका दहन की अग्नि में आहुति दे।


      * किसी शादी शुदा जोड़े में किसी तरह की परेशानी चल रही है तो एक चुटकी सिंदूर ले होलिका दहन के अग्नि में चढ़ाएं, दोनों के बीच प्यार हमेशा बना रहेगा।

      * होलिका दहन की राख को घर के चारों तरफ हल्का हल्का छिड़क दें।‌इससे आपका घर बुरी नजर और नकरात्मक ऊर्जा से बचा रहेगा।


     नोट:- ये सब टोटके हमेशा गोपनीयता, पवित्रता और बिना किसी के टोके करें। ना तब सफल नहीं होने के चांस ज्यादा होते हैं।


       होलिका दहन की पूजा कैसे करें.....


     होलिका दहन 28 मार्च को है। यह शाम 6.37 से 8.56 तक है। होलिका दहन की पूजा के लिए आप घर के बाहर थोड़ा ‌खुला मैदान में करें। सबसे पहले होलिका दहन वाले जगह को गोबर से लीपकर तैयार करें।‌ अब‌ वहां गोबर के कंडे से होलिका और प्रहलाद खिलौने वाला रखें। जो एक डंडे‌ के बीच में रख दें। अब चारों ओर सुखी घास, लकड़ी आदि रख दें। फिर स्नान ध्यान कर यहां आएं।

       पूर्व या उत्तर दिशा में बैठ जाएं। पूजा के सामान- जल,4 माला, चावल, रोली, फूल, मुंग, बताश, गंध, कच्चा धागा, गुड़, नारियल, सात अनाज जैसे गेहूं की बालियां, चना, मटर की सुखी फलियां, हल्दी की गांठें, होली पर बनने वाली पुए‌, मिठाई आदि सब को रखें।

       फूल, गंध, रोली, जल चावल से पहले पंचोपचार पूजन करें।कच्चे धागे से 7‌ बार लपेटते हुए परिक्रमा करें। अपने पितरों ईष्ट देवता, शीतला माता, नरसिंह भगवान, हनुमान जी सब का नाम ले एक एक माला चढ़ाएं। अब एक लोटा जल और सभी सामग्री एक एक कर कर कर अर्पित करें। 

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