माघ मास में भगवान कृष्ण की पूजा अवश्य करें

      आज से माघ मास शुरू हो रहा है। यह मास शुभ माना जाता है भगवान कृष्ण की पूजा के लिए। सनातन धर्म के अनुसार यह साल का 11वां महीना है। यह मास आज यानी 18 जनवरी से शुरू हो 16 फरवरी तक चलेगी। पौष पूर्णिमा 28 जनवरी को खत्म होते ही ये शुरू हो गया लेकिन आज पैरवा है यानि इस मास का पहला दिन। कल‌ पौष पूर्णिमा के गंगा स्नान से ही माघ कल्पवास शुरू गया।

      गंगा तट पर अब एक महीने कल्पवास होगा, इस महीने गंगा स्नान करने से ‌पूण्य मिलता है। इसी महीने कुंभ मेला में भी लगता है ‌वैसे किसी पुण्य स्थान पर गंगा स्नान करने से सारे कष्ट दूर होते हैं, धन धान्य समृद्धि आती है। संतान सुख और सौभाग्य प्राप्त होता है। इस माह का नाम माधव‌ से जुड़ा है, इस माह को माध भी कहते हैं।

कुंभ मेला कहां और क्यों लगता है

       माघ मास में भगवान कृष्ण की पूजा अवश्य करें.....


        इस माह में स्नान, दान और माधव यानि भगवान कृष्ण यानी भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। संगम तट पर स्नान और कल्पवास लोग करते हैं। इस मास के ऊपर तुलसीदास जी ने कहा है कि- माघ मकर गति रवि जब होई, तीरथपतिहिं आव सब कोई। मतलब माघ महीने में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तब सब लोग सभी तीर्थों में सर्वोत्तम प्रयागराज संगम तट पर देव, दानव,‌मनुष्य, किन्नर सभी लोग यहां स्नान करने आते हैं।


        स्नान कर " श्रीनाथाय नमः का जाप करें। माघ स्नान कर 8 मुट्ठी तिल और गुड़ गंगा जल से प्रवाह करें इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। काले तिल का दान करने से शनि महाराज भी प्रसन्न होते। लड्डू,‌ और तुलसी पत्ता चढ़ा भगवान कृष्ण की पूजा करें जीवन की सभी परेशानी से छुटकारा मिलता है।


      यहां कल्पवास से मौक्ष मिलता है। जब महाभारत युद्ध में उतने लोग मारे गए सभी को मोक्ष दिलाने के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने मार्कंडेय ऋषि के कहने पर एक माह का कल्पवास किया था। इस माह में स्नान दान जप करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।


       माघ मास की कथा ...

      पौराणिक कथा में कहा जाता है कि एक शुभव्रत नाम के ब्राह्मण थे, जो थे तो प्रकांड विद्वान पर पैसे के मामले में बहुत आगे रहते थे। वो धन के लिए कुछ भी कर सकते थे। उन्होंने धन तो बहुत जमा कर लिया लेकिन भगवान घर में पुण्य काम आता ना कि धन। वृद्धा अवस्था हो चली, पुरे शरीर घाव और अन्य पीड़ा होने लगी। उन्हें लगने लगा वो अभी तक वैसा कोई पुण्य किए नहीं तो मोक्ष कैसे मिलेगा।

      उन्हें तब माघ मास की विशेषता बतलाने वाला मंत्र याद आया - माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति... मंत्र का संकल्प लें वो 9 दिन तक यमुना नदी में रोज स्नान किया। और दसवें दिन प्राण त्याग दिया। शुभ व्रत ने पुरी ज़िंदगी कोई अच्छा काम किया नहीं लेकिन इन 9 दिनों में पश्चाताप कर सच्चे मन से स्नान कर रोज भगवान विष्णु की पूजा की और उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ।

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