कुंभ महापर्व मकर संक्रांति के महत्वपूर्ण स्नान से शुरू हो चुका है। ये कुंभ अप्रैल तक चलेगा। पिछले पोस्ट में आपको शाही स्नान के बारे में बताए थे। जानिए कब-कब है शाही स्नान कुंभ मेला 4 स्थानों पर लगता है हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में। इस साल कुंभ मेला का आयोजन हरिद्वार में हो रहा है।
कुंभ मेला में बहुत सारे लोग जाते हैं स्नान के लिए, इसकी आस्था और महत्ता बस भारत के लोग ही नहीं विदेशों में भी बहुत है विदेशी भी इस कुंभ स्नान में बहुतायत मात्रा में आते हैं। युनेस्को ने कुंभ मेला को " मानवता की अमुर्त सांस्कृतिक धरोहर" की मान्यता दी है। हम इस पोस्ट में जानते हैं कि कुंभ मेला लगता क्यों है।
हरिद्वार जाएं तो इन जगहों पर अवश्य जाएं
कुंभ मेला क्यों लगता है और कहां कहां लगता है.....
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ तो समुद्र से 14 रत्न निकले। 13 रत्न तो आपस में दोनों ने बांट लिया लेकिन एक रत्न जो कि एक कलश था जो अमृत से भरा था। जिसे पीने के बाद हमेशा के लिए सब अमर हो जाते। इस अमृत कलश को पाने के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध होने लगा।
लड़ई देख भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण कर उनके बीच गए और अमृत कलश अपने पास रख लिया। मोहिनी रूप धारण कर भगवान विष्णु ने अमृत कलश देवराज इन्द्र के पुत्र इंद्र को दे दिया और जयंत वो कलश लें भागने लगा। असुरों के पीछा करने पर देवताओं और असुरों के बीच 12 दिन तक भयंकर युद्ध हुआ। देवताओं का 12 दिन धरती पर 12 साल के समान होता है। इसलिए हर 12 साल पर कुंभ मेला का आयोजन होता है।
जयंत बारहों दिन अमृत कलश को अलग अलग जगह पर रखा। बृहस्पति ने कलश को टुटने से बचाया और चंद्रमा ने गिरने से। लेकिन ये रखने के क्रम में उन बारहों स्थान पर अमृत कलश छलक गया। 8 जगह तो देवलोक में है बाकी 4 जगह धरती पर है। जो है हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक इन सभी जगहों पर स्नान की विशेष महत्व है।
कुंभ कितने तरह का होता है.....
कुंभ दो तरह का होता है। महाकुंभ या पूर्ण कुंभ और अर्ध कुंभ। अर्ध कुंभ हर 6 साल पर लगता है यह बस हरिद्वार और प्रयागराज में लगता है। हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे कुंभ लगता है और प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर। महाकुंभ या पूर्ण कुंभ उज्जैन और नासिक में लगता है जो हर 12 साल पर लगता है। इसे सिंहस्थ भी कहते हैं। उज्जैन में क्षिप्रा नदी किनारे लगता है और नासिक में गोदावरी नदी के किनारे....
कुंभ स्नान करते समय इन बातों का ध्यान अवश्य रखें
कुंभ मेला में शाही स्नान के समय अखाड़े के साधु पहले नहाते हैं।अखाड़ो का बहुत महत्व होता है। अखाड़े में रहने वाले साधु शस्त्र और शास्त्र दोनों में निपुण होते हैं।इसी में नागा साधु भी आते हैं नहाने, अखाड़े और नागा साधु की चर्चा हम अगले पोस्ट में करेंगे। आप सब बने रहिए हमारे साथ, अच्छा लगे तो लाइक कमेंट और सब्सक्राइब अवश्य करें।
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