साल 2020 के लिए जितना कहें कम है।साल की शुरुआत ही हंगामे से हुई थी पुरा साल हंगामा में ही बीता। साल के शुरुआत में राजनीतिक हंगामा चल रहा था CAA का विरोध, धरना प्रदर्शन जिसका असर आपने पुरा साल देखा है। कहा जाता है कि किसी चीज की शुरुआत में कभी भी खींच खींच, चिक चिक नहीं करना चाहिए ना तब अंत उसका अच्छा नहीं होता है।
ये मेरा मानना है कि साल के शुरुआत में ही हर जगह विरोध, विरोध इतना हुआ कि, ये बस अपने भारत की बात नहीं है पुरे दुनिया को देख लिजिए। अमेरिका ईरान में चल रहा था,वहां के हालात भी आप देखें ही। इस साल को अगर खुनी साल या काला साल कहें तो बुरा नहीं होगा।
साल के पहले महीने के अंत में भारत में कोरोना का पहला मरीज केरल में मिला। यहां से कोरोना का सफर भारत में शुरू हो गया। उसके बाद सरकार बाहर से आने वाले हर व्यक्ति पर पुरी नजर गड़ाए रखी, सबका चेकअप किया और संक्रमण होने पर सबको अलग कर कोराइंटिन का व्यवस्था किया। सरकार अपनी पुरी तैयारी कर ली थी इस चुनौती से लड़ने के लिए.....
फ़रवरी में अयोध्या राम मंदिर फैसला के बाद मंदिर बनने के लिए " श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट" बना के मोदी जी मंदिर की नींव रखी। फिर दिल्ली में चुनाव और केजरीवाल की सरकार बनी। 12 फरवरी तक WHO ने कोरोना वायरस का नामकरण कोविड -19 किया। इसी सब के बीच ब्रिटेन में भी चुनाव हुआ जिसमें फिर से बोरिस जानसन प्रधानमंत्री चुने गए।
फ़रवरी में ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का गुजरात और आगरा दौरा हुआ। हमारे देश को बाहरी लोगों के सामने बदनाम करने के लिए इसी समय दिल्ली दंगा भी हुआ। इसमें संपत्ति और लोगों का नुक़सान हुआ ही पुरे दुनिया के सामने हमारी थू थू हुई।
इसी बीच फरवरी से सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारी को सेना में स्थाई कमीशन देने का फैसला लिया। भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में पांच नंबर पर आ गया था लेकिन तब तक कोरोना भी अपना तांडव शुरू कर चुका था, हमारे पीएम बाहर रह रहे हर लोगों की जिंदगी की सुरक्षा के लिए हर किसी को बाहर से अपने देश मंगवाया।
मार्च महीना थोड़ा राजनीतिक पार्टियों का बोलबाला रहा।इसमे राजनीतिक हलचल हुई। पहले तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का बीजेपी में शामिल होना, फिर सीएए विरोधियों का तंबू टेंट उखाड़ फेंकने पर हल्ला हुआ। कारण था कि कोरोना तब तक पुरी तरह अपना पैर जमा लिया भारत में भी। 22 मार्च जनता कर्फ्यू,, थाली बजाना, फिर 22 से को तरह लाॅकडाउन की घोषणा।
ये लाॅक डाॅउन इतिहास में याद किया जाएगा जब रेल, सड़क, हवाई, बाजार सब 3 महीनों के लिए पुरी तरह बंद कर दिए गए। सारे फैक्ट्री, माॅल, दुकान, बिग बाजार, सिनेमा हॉल, बार, मंदिर होने वाले खेल कूद समारोह भीड़ भाड़ सब बंद। प्रथम विश्व युद्ध हो या दुसरा उस समय भी मंदिर, मस्जिद, रेल, सड़क बंद नहीं हुआ था लेकिन इस कोरोंना में सब बंद....
स्कूल कालेज सब बंद, बच्चों की ओनलाइन क्लास परीक्षा इत्यादि भी सब बाधित हुआ इस बार....
अप्रैल मई में ऐसी अफरा तफरी मची लोग अपने अपने घर की ओर आने लगे। बाहर रह रहे मजदूरों को काम बंद होने के कारण सब कैसे कैसा घर पहुंच। कोई तेल के टैंकर में छुप, कोई पैदल ही हजारों किलोमीटर का सफर तय कर, कोई सायकिल तो कोई गाड़ी में भेंड़ बकड़ी जैसे ठुस आ गए। जिसमें ना जाने कितन एक्सीडेंट हुआ और मजदूर अपनी जान गंवा बैठे।
https://aayushmank.blogspot.com/2020/12/2020-jisme-jane-kitne-mahan-hasti-gujar-gyr.html
5 अप्रैल को पुरे भारत में मोदी जी रात 9 बजे केंडल जलाने का आवाहन किया। सरकार ने इस दौरान बहुत सारे मदद भी किए। लोग एक दूसरे की मदद भी करते गए, कोई भूखा ना रहे इस लिए बहुत लोग एनजीओ मदद भी किए। अप्रैल में मरकजी और साद वाला भी हुआ।
मई में देश को रेड, यलो और ग्रीन में बांटा गया। इसी महीने बंगाल और उड़ीसा में तुफान ने तबाही मचाय। विशाखापट्टनम में गैस लिंकेज से मौत हुई। इसी महीने टिड्डियों के हमले ने भी बहुत क्षति पहुंचाई। ये साल बहुत से लोगों की जान भी गई।
फिर किसान आंदोलन, बिहार विधानसभा चुनाव, सुशांत सिंह राजपूत की मौत, रामायण महाभारत टीवी पर प्रसारित होना। लोग इसी बहाने अपने पुस्तैनी गांव, मकान की ओर लौटें। अपनों की पहचान होने लगी, लोगों के बीच दुरियां तो बढ़ लेकिन दिल के करीब ला दिया ये साल.....
पोस्ट बहुत बड़ा होने लगा बाकी पोस्ट आप सब को कैसा लगा कमेंट कर बताएं तब और भी इस बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे.....
ये फोटो नीचे की दोनों बिग बाजार की हैै। जहां हमेेेशा
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