नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। नौ दिन पूजन के बाद अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन किया जाता है। नौ दुर्गा के रूप में हम लोग नौ कन्याओं की पूजा करते हैं। कन्या पूजन करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिससे माता की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। कन्या पूजन से घर में सुख शांति का वास होता है। वैसे तो यह नवमी को हवन कर कन्या पूजन कर सकते हैं लेकिन अष्टमी को भी कन्या पूजन शुभ ही माना गया है।
कन्या पूजन में इन बातों का विशेष ध्यान रखें......
* कन्या की उम्र 2 साल से 10 साल के बीच हो। अपने बच्चे को कन्या पूजन में कभी शामिल नहीं करें, क्योंकि हो सकता हम अपने बच्चों को कभी डांट देते एक दो हाथ रख भी देते तो...
* कन्या पूजन के लिए जब बुलाएं तो साथ में एक लड़के को भी बैठा लें। क्योंकि कन्या के साथ बटुक भैरव की पूजा होती है।
* कन्या पूजन में कन्या को एक दिन पहले बुलावा भेज दें। न्योता कह सकते हैं इसको, हे माता कल आप मेरे घर पधारें....
* जब कन्या आपके घर आए तो उनका पैर धो, रूमाल से पोंछ दें। सबके पैर में आलता से रंग दे। फिर उन्हें आसन दें बैठने के लिए जो साफ सुथरी चादर पर बैठा दें।
* सबको अक्षत फूल और रोली से चंदन करें। हाथ में कलावा बांधे। फिर अगर आप सामर्थ्य है तो चुनरी ओढ़ा दें ना तब छोड़ दें। चुनरी जरुरी ना है।
* अब उनके भोग में पुरी, चना, हलवा, मिठाई या फिर कन्या को जो पसंद आए, आपके पास वो खाने की चीज है तो अवश्य खिलाएं। आजकल लोग काम से बचने के लिए दही चुड़ा (पोहा) खिला देते जो कन्या खुश हो कर नहीं खाती। पुरी हर कन्या खुश हो खाती है खाना में हलवा अवश्य दें।
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