चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर 27 दिन में पुरा करता है। चंद्रमा इस 27 दिनों में तारों के 27 समुहों से होकर गुजरता है। इसी चंद्रमा और तारों के समूह के मेल का नक्षत्र कहते हैं। इन्ही 27 नक्षत्र में एक है आद्र्रा...
आद्र्रा नक्षत्र जिसका मतलब नमी होता है। इस नक्षत्र में बारिश बहुत होती है। साल 2020 में आद्रा 21 जून को प्रवेश कर गया। आद्रा के एक दिन बाद ही गुप्त नवरात्रि भी शुरू हो गया है। 22 जून से नवरात्र शुरू है। यह आद्रा 15 दिनों के लिए रहता है। इसमें बारिश के कारण हर जगह नमी ही नमी रहती है। 5 जूलाई तक आद्र्रा रहेगा।
22 जून से 30 जून तक पुरे सप्ताह थोड़ा थोड़ा कर बारिश पड़ते रहेगा। क्योंकि आद्रा नक्षत्र में वक्री बुध आ गया है। जिसके प्रभाव से तेज हवा, बारिश उत्तर भारत में बहुत ज्यादा मात्रा में होने की संभावना है।
एक कहावत है कि आद्रा नक्षत्र के आने पर और ह्सत नक्षत्र के जाने पर बारिश ना हुई तो उस साल फसल और जीवन बहुत बुरा गुजरता है। इस नक्षत्र में भगवान विष्णु और भोलेनाथ की पूजा का महत्व है।
आद्रा नक्षत्र में हमलोग के बिहार झारखंड में चावल की खीर, दालपुरी बनाया जाता है। इन 15 दिनों में हर किसी के घर में किसी ना किसी दिन खीर बनता ही है। इसका कोई खास कारण तो मुझे नहीं पता लेकिन शायद मुझे लगता है कि यह मौसम की कुछ ठंडा रहता है इस कारण कहीं शरीर को गर्म रखने के लिए दालपुरी, लिट्टी खीर बनाया जाता होगा। इसके बाद खेती का काम शुरू करते हैं।
इस आद्रा नक्षत्र में ही पृथ्वी रजस्वला होती है। कामख्या देवी गुवाहाटी में बहुत बड़ा मेला लगता है। वहां माता रजस्वला होती 3 दिन के लिए मंदिर बंद रखा जाता है।
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