गंगा दशहरा-
यह ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। यह 1 जून 2020 को मनाया जायेगा। इस दिन गंगा स्नान करने से कई यज्ञ के फल मिलते हैं।
गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त...
गंगा दशहरा प्रारंभ - 31 मई 2020 शाम 5.36 PM
गंगा दशहरा समाप्त - 01 जून 2020 दिन 2.57 PM
इसलिए सुबह सुबह ही पुजा पाठ कर लें। 3 बजे तक शुभ समय है। अभी कोरोना काल में लाॅक डाॅउन चल रहा है इसलिए भीड़ भाड़ में घर से बाहर ना जाएं।घर में ही पूजा पाठ कर लें।
गंगा दशहरा का महत्व
पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि गंगा दशहरा के दिन ही गंगाजी पृथ्वी पर आएं थे। इसलिए इस दिन का महत्व बहुत है। एक कथा के अनुसार महाराज भगीरथ अपने पूर्वजों के अस्थियों का विसर्जन करने के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए हजारों साल तप किया तो माता धरती पर आयी लेकिन धार इतना था कि पुरी धरती जल मग्न हो गई। तब मां गंगा ने कहा अगर भगवान शिव अपने जटा में हमको स्थान दे तो मैं धरती पर स्थिर बनी रहुंगी। तब भगीरथ फिर तपस्या करने में लग गए। भगवान शिव प्रसन्न हुए तो मां गंगा को अपने जटा में जगह दिया और तब एक धारा पृथ्वी पर आई। जो गंगा दशहरा या ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को हुआ। इसलिए गंगा दशहरा पर गंगा स्नान कर सब पाप धुल जाते हैं।
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त और महत्त्व....
निर्जला एकादशी व्रत ज्येेेेष्ठ मास के शुक्लपक्ष के
एकादशी को उपवास रख किया जाता है। इस दिन अन्न या पानी कुछ भी 24 घंटे तक नहीं लिया जाता। आपसे संभले तभी ये व्रत करें ना तब इस दिन भगवान विष्णु की पूजा कर, दान कर फल या पानी पर रह कर व्रत कर सकते हैं।
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त - 02 जून 2020 मंगलवार को है। एकादशी व्रत का पारण हमेशा द्वादशी तिथि में ही करना चाहिए।
निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी या पांडव एकदम भी कहते हैं। एक कथा के अनुसार पांडव सभी भाई, कुंती, द्रोपदी सभी एकादशी व्रत करते थे। भीम से भूख बर्दाश्त होता नहीं था वो एक भी एकादशी व्रत नहीं करते जिनका उनको दुख भी होता था कि कहीं वो इससे भगवान विष्णु का अपमान तो नहीं कर रहे।
भीम बड़ी दुविधा में थे तब वो महर्षि व्यास के सामने अपना बात रखा। तो महर्षि वेदव्यास ने कहा कि अगर ऐसा है तो तुम एक ज्येष्ठ मास की एकादशी कर लिया करो सारे 12 मास का पुण्य मिल जाएगा। भीम ने ऐसा ही किया इसलिए इसे भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी व्रत कहते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। उनको पीला फूल, तुलसी, पीला फल अवश्य चढ़ाएं। पंचामृत बना उनको चढ़ाएं फिर प्रसाद रूप में खूद ले और परिवार में सबको बांटे।
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