इरफान खान की जिंदगी के बारे में

    " आदमी जितना बड़ा होता है उसके छुपने की जगह उतनी ही कम होती है" ये डायलॉग इरफान खान ने कहा था लेकिन ऊपर वाले ने उन्हें छुपा लिया। 29 अप्रैल को फिल्मी दुनिया के एक मंझे हुए कलाकार अलविदा लें लिया दुनिया से। छुप गया वो तारा जो चाणक्य, भारत एक खोज, चंद्रकांता, में अपने अभिनय से लोगों के दिल पर राज किया और फिल्म में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी।



     इरफान खान पिछले दो साल से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से पीड़ित थे। उनका इलाज लंदन से चल रहा था। एक साल वहां इलाज करा तब पिछले साल ही भारत आए थे। इस बिमारी का शायद 100% इलाज नहीं हो पाया और कैंसर का संक्रमण पुरा खत्म नहीं हुआ तो उनकी जान चली गई।

     इरफान खान का जन्म 7 जनवरी 1967 में टोंक जिले के खजुरिया गांव में, जयपुर राजस्थान में हुआ था। उनके माता-पिता साइदा‌ बेगम अली और यासिन अलि थे उनका टायर का बिजनेस था। उनकी माता का अभी कुछ दिन पहले ही निधन हुआ था। इरफान खान का सपना क्रिकेटर बनने का था, लेकिन उनके फिल्म का एक डायलॉग है ना "‌ किस्मत की‌ एक खास बात होती है, पलटती जरुर है" बस यही हुआ इनको‌ फिल्म में आना‌ था बस यही आ के किस्मत बन‌ गई।

     वो मुस्लिम समुदाय से थे, लेकिन बचपन से ही शाकाहारी थे। इस कारण बहुत बार उनके पिता उनको ये कह कर चिढ़ाते कि पठान परिवार में ब्राह्मण कहां से पैदा हो गया। उनकी शादी उनकी ही‌ साथ पढ़ने वाली सुपाता सिकंदर से 1995 में हुई। जिनसे उनके दो बच्चे हैं।


       2013 में पान सिंह तोमर फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। वे 30 से ज्यादा फिल्मों में काम किये। हाॅलीवुड में भी अपना सिक्का चलाया वहां ए माइटी हार्ट, लाइफ ऑफ पाई, स्लमडाॅग मिलेनियर, द अमेजिंग स्पाइडर मैन और जुरासिक वर्ल्ड, इर्फनो में इरफान के अभिनय को बहुत सराहा गया। 2011 में भारत सरकार ने इनको पद्म‌श्री से भी नवाजा गया। हासिल फिल्म के लिए 2004 का सर््श्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार मिला।

      उनकी कुछ तस्वीरें देखें। जो हमेशा दिल में लोगों के बसी रहेगी....






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