मेरे दादा जी कहते हैं महुआ उनके जमाने में गरीबों का मुख्य भोजन हुआ करता था। महुआ के फूल की पीस कर उसके रस की रोटी बनाई जाती थीं और लोग उसे खाते थे। महुआ सुख जाने पर उसको कुट कर लाटा बना खाते थे। सुखे महुए को भूनकर खाते थे, गाय भैंस को खिलाने पर गाय दूध भी अधिक देती है।
महुआ इन रोगों के लिए बहुत फायदेमंद है.....
महुआ में फैट, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट,शुगर, कैल्शियम, फास्फोरस, फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। महुआ का तासीर ठंडी होती है। । महुआ को आप बहुत से रूपों में खा सकते हैं। उसका रोटी, पुरी, उसका तेल, खीर, बर्फफी, हलुआ, उसका लाटा, या उसके फूल को ताजा या सुखा कर भी खा सकते हैं।
* महुआ दांतों और मसूड़ों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अगर मसुड़ो से खून आता हो, दांत में दर्द हो, मुंह से गंध हो तो महुआ के छाल का रस पीनी में मिलाकर कुल्ला करें। महुआ के लकड़ी से मंजन भी कर सकते हैं।
* महुआ डायबिटीज़ वालों के लिए अच्छा साबित होता है। इसके पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से शुगर कंट्रोल रहता है।
* अगर आप गठिया या आर्थोराइट से पीड़ित हैं तो महुआ के छाल या इसके बीज से मालिश करें। छाल को पीसकर लेप लगाएं और बीज को तेल में खुब गर्म कर मालिश करें। महुआ के बीज का तेल मिलता है उससे मालिश करें।
* महुआ में कृमि नाशक, कफ दोष नाशक गुण के कारण सर्दी, खांसी या कोई श्वसन में दिक्कत हो तो उसके फूल का सेवन लाभकारी रहता है।
* अगर खाज खूजली की प्रोब्लम हो तो महुआ के पत्तों को तिल के तेल के साथ गर्म कर पुरा खाज खूजली पर लगाएं ठीक हो जाएगा।
* स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। महुआ का फूल मां के दूध को बढ़ाता है।
* किसी तरह का दाग धब्बा हो शरीर पर तो महुआ के छाल को पीसकर लेप लगाएं।
* शरीर में पानी की कमी को दूर करता है।
* बवासीर वालों को इसके फूल को घी में भूनकर खाना चाहिए।
0 Comments