अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास 9 अप्रैल से शुरू होकर 7 मई को वैशाखी पूर्णिमा के साथ खत्म होगी। इस मास में सुर्योदय के पहले स्नान या गंगा स्नान का बहुत महत्व है। रोज गंगा स्नान करने से आपके सारे पाप खत्म हो जाते हैं। अगर आप गंगा स्नान करने में असमर्थ हैं तो आप घर में भी नहाने के बाल्टी में थोड़ा गंगा जल मिला लें तो भी गंगा स्नान जैसा पुण्य मिलता है। इस महीने दान पुण्य अवश्य करना चाहिए।
पुराणों के अनुसार....
न माधवसमो मासो न कृतेन युगं समम्
न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।
अर्थात वैशाख के समान कोई मास नहीं, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है।
पौराणिक कथा के अनुसार एक राजा जिनका नाम महीरथ था, वो वैशाख मास में श्री हरि विष्णु की पूजा से वैकुंठ धाम गये थे। इस महीने में भगवान विष्णु को तुलसी पत्ता का भोग लगाएं और पीपल वृक्ष में जल अवश्य दें। इस महीने में चप्पल, छाता, पानी के घरे, पानी वाले फल जैसे तरबूज, खरबूज, ककड़ी आदि चीजें दान करें। पक्षियों को दाना पानी दें।
वैशाख मास भगवान विष्णु को क्यों प्रिय है.....
भगवान विष्णु ने वैशाख मास में सभी देवी-देवताओं को जल में निवास करने कहें। ब्रह््आ जी जब समय को बांट रहे थे तो वैशाख मास को सबसे उत्तम कहा। इस महीने में भगवान शिव के ऊपर भी घड़ाा लटकाया जाता है जो पुरा दिन रात उनके ऊपर चढ़ता रहता। समुद्र मंथन से निकले विष को जब शिव ने ग्रहण किया उसके बाद उनको नीलकंठ कहा जाने लगा। विष पान के बाद उनके शरीर की गर्मी बहुत बढ़ गई वैशाख मास में यहीश्र जल उनको ठंंडक प्ररदान करता है।..
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