नवरात्रि में चढ़ाएं माता को उनका प्रिय फूल

        शारदीय नवरात्र शुरू हो रहा है। माता की पूजा में फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है। वैसे तो माता रानी अल्हुड़ के फूल से प्रसन्न होती हैं भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती है। माता को लाल रंग का फूल बहुत पसंद हैं। जैसे भोलेनाथ के लिए बेलपत्र और धतुरे का फूल प्रिय हैं वैसे ही माता को अरहुल फूल प्रिय है। लेकिन और भी फूल से जिससे माता की पूजा की जाती है। किस रूप में माता को कौन सा फूल चढ़ाएं ये सब जानना आवश्यक है।

     माना जाता है कि अड़हुल फूल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास है। फूल के शुरूआत में ब्रह्मा, और बीच भाग में विष्णु और अंत में महेश विराजमान हैं। अंकुरण भाग स्वयं माता का स्थान है। ये फूल चढ़ाने से मंगल और केतु ग्रह शांत होता है।

    माता को लाल गुलाब भी बेहद प्रिय है। लाल गुलाब अर्पित करने से आर्थिक समस्या का समाधान होता है।माता को शमि ,अशोक, अमलतास, सिंग्हार,  कमल, केवड़ा, कदम्ब, अपराजिता, मंदार, कनेर, चंपा, गेंदा, कनेर, शंखपुष्पी, मोगड़ा, चमेली, जूही  फूल चढ़ाएं।

     फूल कभी वासी नहीं चढ़ाएं। फूूूूूूल का सुगंध ले कर कभी फूल अर्पित नहीं करना चाहिए।‌ फूल की कली बिल्कुल नहीं  तोड़े या भगवान पर चढ़ाएं।नहाने के बाद फूल तोड़ कर रखें।
फूल तोड़ते समय उसका थोड़ा सा डंठल भी तोड़ लें।‌ माता को डंठल सहित फूल चढ़ाएं। फूल भगवान को फोटो के सामने उल्टा कर चढ़ाएं।

  नवरात्रि में ये नियम भी माने....

 * - नवरात्रि में काले रंग के कपड़े से परहेज़ करें। लाल कपड़ा तो अति उत्तम नहीं तो और कोई रंग पहने।
  * नवरात्रि में ब्रह्मचैर्य का पालन करें। अगर घर में कलश स्थापना हो रही तो पति-पत्नी अलग अलग सोएं।
   * पुरे नवरात्रि मांस, मदिरा, प्याज, लहसू ना खाएं।
  * संभव हो तो जमीन पर सोएं। दिन में नहीं सोने का‌ प्रयास करें। 
   * नौ दिन बाल, दाढ़ी, नाखुन नहीं कटाएं। कैंची का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।
   * किसी भी व्यक्ति का झुठ, शिकायत, चुगली ये सब नहीं करना चाहिए।‌ किसी के दिल को चोट नहीं पहुंचाएं।

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