Bhagwalpur Acid attack

       एक ओर जहां बेटी को देवी मानकर पुजते हैं वहीं दूसरी ओर उनके साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर क्यों हम चुप हो जाते हैं।पुरा भारत बेटी बचाओ का होर्डिंग्स लगाए घुम रही,दुसरी ओर उन्हीं होर्डिंग्स के नीचे बेटियों के क्षत- विक्षत लाशें मिल रही।

  ‌   यह घटना बिहार के भागलपुर जिले की है। जहां काजल और उसकी मां खाना बना रही थी। तभी कुछ नकाबपोश युवकों ने घर में घुसकर मां के ऊपर बंदुक तान दी और काजल को बुरी नियत से खींगन लगे। मां द्वारा शोर मचाने पर नकाबपोशों की दाल गलती ना दिखी तो कुत्तो $£¢€¢€^™%™$™°€=€ ने लड़की को तेजाब से नहा दिया।

    काजल छटपटा के वहीं हाॅल में गिर गई। अपराधी सीढ़ियों की तरफ भागते हुए छत से भाग गये। शोर सुनकर बहुत से लोग जमा हुए। काजल का स्कीन गिरने लगा था। डाॅ के पास ले गए वहां थोड़ा बहुत दवाई देकर‌ उसकी हालत गंभीर बनी थी। बाहर रेफर कर दिया गया। ये तेजाब फेंकने वाले कोई और नहीं बल्कि उसी मुहल्ले के लोग थे।

     जरा सी भी दया नहीं आई उन बदमाशों को। बेचारी कितना दर्द में होगी। ये कोई एक काजल नहीं है इसके जैसे और भी कई केस हुए। क्या तेजाब फेंकने वाले कभी अपने शरीर पर डाल कर देखें है कि कितना दर्द होता है।

    सरकार को तो नियम बना तेजाब फेंकने वाले अपराधी पर भी तेजाब फेंका जाय। जब तक जैसे को तैसा नियम नहीं बना दिया जाए ये अपराध रुकने वाला नहीं है। एक हल्का सा हाथ जल जाए तो कितना जलन होता जिसके ऊपर पुरा एसिड ही गिरा दिया गया वो कितना जलन में होगी।

‌   केंडल मार्च या 4-5 दिन हल्ला करने से कुछ नहीं होगा। हमारे समाज की मानसिकता बदलनी चाहिए। समाज के हर व्यक्ति को लड़की की जिम्मेदारी लेनी होगी। हर आदमी उसको अपने बच्चों जैसा समझे। जहां गलत हाथ उठे तुरंत उस हाथ को तोड़ देना चाहिए। जहां पुरुष अपना सांप जैसा फन किसी अबला को डसने उठे उसी समय उस फन को कुचल दिया जाना चाहिए।

‌   ये मेरा निजी विचार है। सरकार से हाथ जोड़कर यही विनती है कि अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दे। ताकि समाज में लड़कियों का अस्तित्व बचा रहे। ना तब कुछ दिन में लोग दहेज के डर से नहीं समाज के मनचलों के डर से बेटी पैदा करना छोड़ देंगे।

 


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