आज पुरी दुनिया अर्थ डे मतलब पृथ्वी दिवस मना रही हैं। पृथ्वी पर जितने भी जीव , पेड़- पौधे पाये जाते हैं, सबको बचाने के लिए दुनिया भर में प्रर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 22 अप्रैल को को पुरे दुनिया में अर्थ डे मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1970 में हुई। आज के दिन लगभग पुरी दुनिया पृथ्वी की हरियाली बनाए रखने और सारे जीव जंतु को उनका हिस्सा और अधिकार देने का वादा करते हैं।
पृथ्वी बहुत ही सुन्दर ग्रह है। यहां तीन भाग पानी और एक भाग ही जमीन है। दूर से देखने पर पुरा नीला नीला दिखाई देता है इसलिए इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है। लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह सुंदर नजारा अब खतरे में है। जिसको बचाने के लिए पृथ्वी दिवस जैसे कार्यक्रम चला कर सबको इसके प्रति जागरूक करने की कोशिश है। 22 अप्रैल का दिन गेलार्ड नेल्सन ने चुना क्योंकि इस समय बहुत सारे स्कूूल काॅलेज में छुट्टियों का समय रहता है।
महात्मा गांधी ने एक बार कहा था "प्रकृति में इतना ताकत है कि वो लोगों की सभी जरुरतों को पूरा कर सकती हैं लेकिन पृथ्वी लोगों की लालच को कभी पुरी नहीं कर सकती हैं।
अगर हर देश जंगलों को इसी तरह काटते जायेगा तो वो दिन दूर नहीं जब पृथ्वी आग के गोले के अलावा कुछ नहीं बचेगा। अभी के समय को ही ले लीजिए जब हम छोटे थे बारिश के समय में कितना बारिश होती थी, ठंड के मौसम में ठंड भी बहुत पड़ती थी। आजकल बेमौसम बरसात कभी भी हो जाती, गर्मी इतनी कि गर्मी की वजह से बहुत सारी बिमारी बढ़ गई।
पहले कितने जंगल हुआ करते, जंगल में ढेर जीव अपना घर बना के रहते। आज कल हम लोग अपनी जरूरत के लिए उनका घर तोड़ कर अपना घर बना रहे। आज इस मुहिम में करोड़ों लोग जुड़े हैं फिर भी कुछ नहीं हो रहा। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित वातावरण, हरियाली से भरपूर पृथ्वी दें। ना तब हम लोग बचेंगे ना हमारी पीढ़ी...
पृथ्वी बहुत ही सुन्दर ग्रह है। यहां तीन भाग पानी और एक भाग ही जमीन है। दूर से देखने पर पुरा नीला नीला दिखाई देता है इसलिए इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है। लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह सुंदर नजारा अब खतरे में है। जिसको बचाने के लिए पृथ्वी दिवस जैसे कार्यक्रम चला कर सबको इसके प्रति जागरूक करने की कोशिश है। 22 अप्रैल का दिन गेलार्ड नेल्सन ने चुना क्योंकि इस समय बहुत सारे स्कूूल काॅलेज में छुट्टियों का समय रहता है।
महात्मा गांधी ने एक बार कहा था "प्रकृति में इतना ताकत है कि वो लोगों की सभी जरुरतों को पूरा कर सकती हैं लेकिन पृथ्वी लोगों की लालच को कभी पुरी नहीं कर सकती हैं।
अगर हर देश जंगलों को इसी तरह काटते जायेगा तो वो दिन दूर नहीं जब पृथ्वी आग के गोले के अलावा कुछ नहीं बचेगा। अभी के समय को ही ले लीजिए जब हम छोटे थे बारिश के समय में कितना बारिश होती थी, ठंड के मौसम में ठंड भी बहुत पड़ती थी। आजकल बेमौसम बरसात कभी भी हो जाती, गर्मी इतनी कि गर्मी की वजह से बहुत सारी बिमारी बढ़ गई।
पहले कितने जंगल हुआ करते, जंगल में ढेर जीव अपना घर बना के रहते। आज कल हम लोग अपनी जरूरत के लिए उनका घर तोड़ कर अपना घर बना रहे। आज इस मुहिम में करोड़ों लोग जुड़े हैं फिर भी कुछ नहीं हो रहा। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित वातावरण, हरियाली से भरपूर पृथ्वी दें। ना तब हम लोग बचेंगे ना हमारी पीढ़ी...
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