आज कार्तिक महीने का चतुर्दशी है।आज का चतुर्दशी रुप चतुर्दशी,नरक चतुर्दशी या रुप चौदस के नाम से जाना जाता है।आज के दिन मृत्यु के भगवान यम भगवान की पूजा करते हैं। छोटी दीपावली के रूप में आज का दिन मनाते हैं।शाम में दिया जलाते हैं।
नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध करके, देवताओं और ऋषियों को उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई थी।
यम दिया का महत्व
आज के दिन गोबर या आटे का दिया बनाकर उस नाली या कचड़े के ढेर पर रखा जाता है। पहले थियेटर को पूरा घर घुमाया जाता है तब इसे घर के बाहर रख आते हैं। इस दिये को यम का दिया कहते हैं, इसमें सरसों या तिल का तेल डाला जाता है। इस मौके पर 'दरिद्रता जा लक्ष्मी आ' कह घर की महिलाएं घर से गंदगी को घर से बाहर निकालती हैं।(यम का दीपक तभी जलाएं, जब घर के सभी लोग आ जाएं)
यम दिया की पौराणिक कथा
आज के दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। यमराज के निमित्त एक दीपक दक्षिण दिशा की ओर मुख कर जलाया जाता है। जिससे यमराज खुश रहें, अकाल मृत्यु न हो और मृत्यु पश्चात विष्णुलोक में स्थान मिले। इसके पीछे कथा प्रचलित है कि एक बार यमदूत एक राजा को उसकी मृत्यु के पश्चात नरक के लिए लेने आया। राजा ने नरक ले जाने का कारण पूछा तो यमदूत ने बताया कि उसने एक ब्राह्मण को द्वार से भूखा लौटा दिया था। इस पर राजा ने यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा और यमदूत ने उसे समय दे दिया। इसके बाद राजा ऋषियों के पास पहुंचा और पूरा वृतांत सुनाया। ऋषियों के कहने पर राजा कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को व्रत करने लगा और ब्राह्मणों को भोज कराने लगा। तत्पश्चात राजा को नरक के बजाय विष्णुलोक में स्थान मिला। तब से ही इस दिन यमराज की विशेष पूजा की जाती है।
1 Comments
Very nice thank you for sharing नरक चतुर्दशी मराठी माहिती व शुभेच्छा संदेश वाचा !
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